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मैं अब नामर्द हूं...राम रहीम ने 400 लोगों को भगवान दर्शन के नाम पर बनाया नपुंसक!

गुरमीत राम रहीम ने साल 2000 से 2005 के बीच करीब 400 लोगों को नपुंसक बना दिया था. हंसराज नाम का लड़का भी उनमे से एक है. हंसराज की बात करें तो उसने साल 2012 में बाबा राम रहीम के खिलाफ पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में शिकायत दर्ज करवाई थी. इस पूरे मामले की सीबीआई जांच चल रही है.

गुरमीत राम रहीम गुरमीत राम रहीम
आदित्य बिड़वई
  • नई दिल्ली,
  • 28 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 5:23 PM IST

साध्वी से रेप केस में सजा होने के बाद राम रहीम के करतूतों की पोल एक के बाद एक खुलती जा रही है. इसी कड़ी में बाबा के करीब रहे लोग मीडिया में सामने आकर अपनी आपबीती बता रहे हैं. बता दें कि रेप केस के अलावा बाबा राम रहीम पर 400 लोगों को नपुंसक बनाने का भी केस चल रहा है. इस केस के मुख्य सूत्रधार हंसराज ने आपबीती बताई.

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गौरतलब है कि गुरमीत राम रहीम ने साल 2000 से 2005 के बीच करीब 400 लोगों को नपुंसक बना दिया था. हंसराज नाम का लड़का भी उनमे से एक है. हंसराज की बात करें तो उसने साल 2012 में बाबा राम रहीम के खिलाफ पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में शिकायत दर्ज करवाई थी. इस पूरे मामले की सीबीआई जांच चल रही है.

हंसराज अपनी आपबीती सुनाते हुए कहता है कि बाबा उसे प्रार्थना के बाद नशे के कैप्सूल देता था. जिसके खाने के बाद उसके साथ क्या होता, उसे भी मालूम नहीं होता था. एक बार जब उसे नशे की कैप्सूल दी गई तो वो बेहोश हो गया और अगले दिन जब उसे होश आया तो उसने देखा कि उसका प्राइवेट पार्ट ऑपरेट किया गया है.

बाद में हंसराज का हॉर्मोनल बैलेंस बिगड़ गया और वह नामर्दी का शिकार हो गया. बता दें मेडिकल जांच में हंसराज की नामर्दी की बात कंफर्म हो चुकी है. हाईकोर्ट में दायर पिटीशन में कहा गया था कि डेरे में रहने वाले साधुओं को भगवान का दर्शन कराने के सपने दिखाए जाते हैं. उनसे यह तक कहा जाता है कि नपुंसक बनने वाले साधुओं का डेरामुखी गुरमीत राम रहीम सिंह भगवान से मुलाकात कराएंगे.

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बाबा की गुफा से आती थी आवाजें...

गुरदास सिंह तूर कभी बाबा राम रहीम का खास सेवक हुआ करता था. लेकिन, जैसे-जैसे बाबा के करीब होता गया, खुद को उनकी भक्ती से दूर पाता गया. गुरदास ने आपबीती सुनाते हुए बताया कि उसने अपनी आंखों से बाबा की गुफा में हो रही करतूतों को देखा है. गुरदास के मुताबिक बाबा साध्वियों के साथ रासलीला रचाता था. उसकी गुफा से लड़कियों के चीखने की आवाजें आती थीं.

वह अपने लिए लड़कियां चुनने की शुरुआत हिसार के अपने डेरे के गर्ल्स स्कूल से करता था. बाबा की साध्वियां स्कूल के दिनों से ही लड़कियों का ब्रेन वॉश कर उन्हें बाबा के करीब लाने और परोसने के जुगाड़ में लग जाती थीं और तो और हर साल पंद्रह अगस्त को अपने जन्मदिन पर बाबा इसी स्कूल में अपने साध्वियों और छात्राओं के साथ ऐसा डांस करता था, जिन्हें देखने की इजाजत लड़कियों के घरवालों को भी नहीं थी.

 

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