
प्रसिद्ध हाजी अली दरगाह के न्यासियों ने बंबई हाईकोर्ट से कहा है कि एक पुरुष संत की दरगाह के बहुत करीब महिलाओं का प्रवेश इस्लाम में गंभीर गुनाह है. महिलाओं को प्रवेश का हक न दिए जाने के अनुरोध वाली इस याचिका पर अगली सुनवाई 17 नवंबर को होनी है.
एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने इससे पहले दरगाह के न्यासियों से अपने उस नियम पर फिर से विचार करने के लिए कहा था जिसके तहत गर्भगृह में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी है. इस स्थल पर 15वीं सदी के सूफी संत हाजी अली की कब्र है.
न्यास ने मंगलवार को न्यायमूर्ति वीएम कनाडे की अध्यक्षता वाली पीठ को एक पत्र दिया, जिसमें उसने कहा कि अदालत के आदेश को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में हाल में एक बैठक बुलाई गई और न्यासियों ने फिर से सर्वसम्मति से फैसला किया कि गर्भगृह में महिलाओं को आने की अनुमति नहीं दी जाए.
पत्र में कहा गया कि न्यासी इस बिन्दु पर एकमत हैं कि पुरुष मुस्लिम संत की मजार के बहुत निकट महिलाओं का प्रवेश इस्लाम के अनुसार गंभीर गुनाह है और यह संवैधानिक कानून और खासकर संविधान के अनुच्छेद 26 से संचालित होता है, जो न्यास को अपने धार्मिक मामलों के प्रबंधन का मौलिक अधिकार देता है. किसी तीसरे पक्ष का इस तरह का हस्तक्षेप अनुचित है.