
हरियाणा विधानसभा चुनाव में तीसरी प्रमुख पार्टी बनकर उभर रही है दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP). दुष्यंत चौटाला 'ताऊ' देवीलाल चौटाला के पड़पोते हैं. देवीलाल चौटाला हरियाणा के पहले नेता हैं जो देश के उप-प्रधानमंत्री बने थे. दुष्यंत चौटाला ने करीब 10 महीने पहले ही जननायक जनता पार्टी बनाई थी. आज हरियाणा में भाजपा और कांग्रेस के सीटों की गणित JJP ने बिगाड़ दिया है. आइए जानते हैं कि दुष्यंत चौटाला जो खुद को ताऊ देवीलाल चौटाला का असली राजनीतिक विरासत कहते हैं, उनसे पहले चौटाला परिवार की क्या सियासत थी?
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चौटाला परिवार में फूट का आगाज हुआ 2013 में
वर्ष 2013 में चौटाला परिवार में फूट की शुरुआत हुई. बात तब की है, जब देवीलाल चौटाला के बेटे ओमप्रकाश चौटाला और पोते अजय चौटाला जेबीटी घोटाले में 10 साल के लिए जेल गए. इसके बाद इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो - INLD) की कमान अभय चौटाला के हाथ में आ गई. 2014 के चुनाव में अजय चौटाला के बड़े बेटे दुष्यंत चौटाला राजनीति में आए. 2014 में दुष्यंत हिसार लोकसभा सीट से कुलदीप बिश्नोई को हराकर सबसे युवा सांसद बने.
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2014 में इनेलो विधानसभा चुनाव हार गई, पार्टी दो खेमों में बंट गई
दुष्यंत के सांसद बनने के बाद ही राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी हार गई. कारण था दुष्यंत के सांसद बनने के बाद पार्टी का दो खेमों में बंट जाना. पार्टी का एक गुट अभय चौटाला के साथ हो गया और दूसरा दुष्यंत के साथ. 2018 में पार्टी की फूट पूरी तरह से सामने आ गई. ओमप्रकाश चौटाला ने अजय के दोनों बेटों दुष्यंत और दिग्विजय को पार्टी से बाहर निकाल दिया. इनेलो की कमान अभय के पास पूरी तरह से आ गई.
दिसंबर 2018 में दुष्यंत ने बनाई जननायक जनता पार्टी
दिसंबर 2018 में दुष्यंत चौटाला ने जननायक जनता पार्टी की नींव रखी. जेजेपी को आगाज करते ही हार का सामना करना पड़ा. 2019 जनवरी में हुए जींद उपचुनाव में जेजेपी उम्मीदवार दिग्विजय चौटाला भाजपा से हार गए. इसबार एक तरफ दुष्यंत और दिग्विजय हिसार और सोनीपत से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं तो वहीं अभय चौटाला के बेटे करण चौटाला भी चुनाव मैदान में हैं.
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हरियाणा की राजनीति की धुरी थे देवीलाल
कहते हैं कि एक जमाने में हरियाणा में देवीलाल की राजनीति में तूती बोलती थी. करीब 4 दशकों तक इनके परिवार ने राज्य की राजनीति को तय किया है. आज भी राज्य में मजबूत पकड़ बना रखी है. इनकी तीसरी और चौथी पीढ़ी राजनीतिक मैदान में है. देवीलाल का जन्म हरियाणा के सिरसा जिले के तेजाखेड़ा गांव में वर्ष 1912 में हुआ था. 15 साल की उम्र में वे देश की आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए. 1930 में महात्मा गांधी के आंदोलन में शामिल हुए तो जेल जाना पड़ा. 1938 में देवीलाल कांग्रेस में शामिल हुए. 1942 में देवीलाल को 'अंग्रेजो भारत छोड़ो' आंदोलन के दौरान करीब दो साल तक जेल में रहना पड़ा.
1952 में देवीलाल ने किया था राजनीति का आगाज
देवीलाल 1952 में पहली बार पंजाब विधानसभा के सदस्य बने. 1956 में पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बने. लेकिन इसके बाद देवीलाल ने हरियाणा को अलग राज्य बनाने की लड़ाई छेड़ दी. 1966 में हरियाणा राज्य बन गया. 1971 में देवीलाल ने कांग्रेस छोड़ दी. इमरजेंसी में जेल गए. 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े. पहली बार राज्य के सीएम बने. लेकिन भजनलाल के पार्टी तोड़ने के कारण देवीलाल दो साल ही सीएम रह पाए. 1987 में देवीलाल ने लोकदल बना लिया. इसी साल उन्होंने हरियाणा में सरकार बना ली. 1989 में देवीलाल जनता दल सरकार में शामिल हो गए. उन्हें वीपी सिंह और चंद्रशेखर सरकार में उपप्रधानमंत्री की कुर्सी मिली.
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1989 में ओमप्रकाश चौटाला ने की राजनीति में शुरुआत
जब देवीलाल डिप्टी पीएम बने तो उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा के मुख्यमंत्री बने. इसके बाद ओमप्रकाश चौटाला 1989 से 91 तक मुख्यमंत्री रहे. 1991 में देवीलाल लोकसभा चुनाव हारे और यहीं से उनकी राजनीतिक यात्रा समाप्त हो गई. 1999 में ओमप्रकाश चौटाला ने भाजपा की मदद से हरियाणा में सरकार बनाई. 2005 तक वे हरियाणा के सीएम बने. 2001 में देवीलाल का देहांत हो गया.
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देवीलाल के चार बेटेः ओमप्रकाश चौटाला, स्व. प्रताप चौटाला, रंजीत सिंह (कांग्रेस) और स्व. जगदीश चौटाला.
ओमप्रकाश चौटाला के दो बेटेः अजय और अभय चौटाला.
अजय और अभय के दो-दो बेटे
अजय चौटाला के बेटेः दुष्यंत और दिग्विजय. दोनों राजनीति में.
अभय चौटाला के बेटेः कर्ण और अर्जुन. दोनों राजनीति में.
प्रताप चौटाला के दो बेटेः रवि और जितेंद्र. दोनों बिजनेसमैन.
रंजीत सिंह के दो बेटेः गगनदीप और स्व. संदीप सिंह. गगनदीप बिजनेसमैन.
जगदीश चौटाला के तीन बेटेः आदित्य (भाजपा), अभिषेक (वकील) और अनिरुद्ध (वकील)