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दिल्ली की हवा में 'जानलेवा' प्रदूषण

दिल्ली का प्रदूषण अब जहर में बदलता जा रहा है. दिल्ली की हवा में प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ गया है कि यह सेहत पर गलत असर डालने लगा है. इसमें 30 नवंबर तक सुधार नहीं होने वाला है.

दिल्ली में धुंध और धुएं का खतरनाक मिलन! दिल्ली में धुंध और धुएं का खतरनाक मिलन!
सूरज पांडेय
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2015,
  • अपडेटेड 2:15 PM IST

दिल्ली की सड़कों पर दौड़ती भागती लाखों गाड़ियों से निकलता धुआं. राजधानी में मौजूद फैक्ट्रियों से निकलता काला जहर. बिजलीघरों की चिमनी से निकलता धुआं और मौसम में बढ़ने जा रही धुंध मिलकर प्रदूषण का एक ऐसा कॉकटेल तैयार कर रही हैं जो दिल्ली का दम घोट रहा है.

धुंध और धुएं का खतरनाक मिलन
देश का दिल कही जाने वाली दिल्ली की हवा अब सांस लेने लायक नहीं रह गई है. हवा में मौजूद प्रदूषण का स्तर हानिकारक स्तर को पार कर अब बेहद खतरनाक स्तर में पहुंच चुका है. हवा में घुला प्रदूषण तय मानक मात्रा से 4 से 5 गुना ज्यादा हो चुका है. कहीं कहीं ये स्तर 10 गुना तक पहुंच गया है.

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30 नवंबर तक घुटता रहेगा दिल्ली में दम
इतना ही नहीं दिल्ली वालों की परेशानी अभी और भी बढ़ेगी क्योंकि उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों में हो रही बर्फबारी से दिल्ली में धुंध बढ़ने वाली है. ये धुंध और हवा में पहले से मौजूद धुआं मिलकर एक जानलेवा मिश्रण तैयार कर रहे हैं जो स्मॉग की शक्ल में आपके स्वास्थ्य पर डाका डाल सकते हैं. मौसम विभाग के वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी करके आगाह कर दिया है कि 30 नवंबर तक हालत में सुधार नहीं होगा. हवा यूं ही जहरीली बनी रहेगी.

दिल्ली की हवा में 'जानलेवा' प्रदूषण
दिल्ली की हवा में तैरने वाले हल्के प्रदूषित कणों की मात्रा को हम आंकड़ों के जरिए आपको समझाएंगे तो जहरीली हकीकत सामने आ जाएगी. नेशनल एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिकदिल्ली में पर्टिकुलेट मैटर यानि कि PM 2.5 का सुरक्षित स्तर 100 है लेकिन कई जगहों पर इसकी मात्रा 357 तक पहुंच चुकी है. इसी तरह से राजधानी में PM 10 का सुरक्षित स्तर 60 है लेकिन ये भी कई इलाकों में बढ़कर 420 से 1183 तक जा पहुंचा है. इसी तरीके से दिल्ली में बेंजीन की सेफ लेवल 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है जबकि कुछ इलाकों में ये 22 तक जा पहुंचा है.

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जहरीले केमिकल देंगे बीमारियों को न्योता
इतना जानने के बाद अब आप खुद ही सोच सकते हैं कि दिल्ली में प्रदूषण के हालात कितने खतरनाक हो चुके हैं. ये भी तय मानिए कि 30 नवंबर तक प्रदूषण स्तर में सुधार होने की कोई संभावना नहीं है. ऐसे माहौल में परेशानी उनके लिए ज्यादा है जिन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है, जो दमा के शिकार हैं या फिर बच्चों और बुजुर्ग को. क्योंकि जहर भरी हवा सीधे आपके स्वास्थ्य पर अटैक कर रही है.

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