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नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल में जजों की कमी को लेकर हाई कोर्ट सख्त हो गया है. केंद्र के इस जवाब पर कि नियुक्ति की प्रक्रिया चल रही है, इससे संबंधित याचिका का निपटारा कर दिया जाए पर कोर्ट ने जवाब दिया कि पहले नियुक्ति कीजिये, हम याचिका का निपटारा कर देंगे. मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी.
नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल में न्यायिक और विशेषज्ञ सदस्यों के पद खाली होने के मामले में केंद्र सरकार ने अपना हलफनामा दायर कर पक्ष रखा है. हलफनामे में सरकार ने कहा है कि पर्यावरण मंत्रालय ने खाली पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और जल्द ही सभी पद भर लिए जाएंगे.
इस पर हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को साफ जवाब दिया कि वो एनजीटी में न्यायिक और विशेषज्ञ सदस्यों के पद भरे जाने के बाद ही याचिका का निपटारा करेंगे. इससे पहले एनजीटी ने केंद्र सरकार को यह कहते हुए फटकार लगाई थी कि क्या आप एनजीटी को बंद करना चाहते हैं?
हाइकोर्ट मे लगाई गई याचिका मे कहा गया है कि दिसंबर 2017 के बाद एनजीटी में महज तीन न्यायिक सदस्य और दो विशेषज्ञ सदस्य ही बचेंगे. वकील गौरव कुमार बंसल की तरफ से दायर याचिका में एनजीटी में रिक्त पड़े पद भरने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया है कि नौकरशाही में लालफीताशाही के कारण एनजीटी जैसा बेहतरीन संस्थान भी समय से पहले बंद होने के कगार पर है.
एनजीटी के ज्यादातर सदस्य रिटायर होने जा रहे हैं ऐसे में एनजीटी की दो जोनल शाखाएं अक्टूबर तक काम करना बंद कर देंगी. याचिका में कहा गया कि फ़िलहाल एनजीटी में आठ न्यायिक सदस्य और छह विशेषज्ञ सदस्य हैं, जिनमें से कई रिटायर होने जा रहे हैं. ऐसे में नौ दिसंबर के बाद विशेषज्ञ की संख्या घटकर दो रह जाएगी और 13 फरवरी 2018 के बाद पैनल में केवल तीन न्यायिक विशेषज्ञ ही रह जाएंगे. मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी.