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अमेरिका का पाकिस्‍तान को 45 करोड़ डॉलर की मदद देने से इनकार

व्हाइट हाउस के ऐतराज को नजरअंदाज करते हुए रिपब्लिकन बहुमत वाली अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण विधेयक (एनडीएए) को स्वीकार कर लिया.

अमित कुमार दुबे/BHASHA
  • वॉशिंगटन,
  • 20 मई 2016,
  • अपडेटेड 11:52 PM IST

व्हाइट हाउस के ऐतराज को नजरअंदाज करते हुए रिपब्लिकन बहुमत वाली अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण विधेयक (एनडीएए) को स्वीकार कर लिया. जिसके तहत हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई में नाकाम रहने पर पाकिस्तान को मिलने वाली 45 करोड़ डॉलर की मदद पर रोक का प्रावधान किया गया है.

पाकिस्तान को मिलने वाली मदद पर रोक की कवायद
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने बुधवार की रात को 147 के मुकाबले 277 मत से एनडीएए 2017 (एच आर 4909) पारित कर दिया, जिसमें तीन प्रमुख संशोधन शामिल हैं जो अमेरिकी सांसदों में पाकिस्तान विरोधी मजबूत भावना दिखाता है. प्रतिनिधि सभा में पारित विधेयक के अनुसार मदद के तौर पर 45 करोड़ डॉलर की राशि जारी करने से पहले ओबामा सरकार को प्रमाणित करना होगा कि पाकिस्तान ने शर्तें पूरी की हैं.

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मदद को गलत कामों में नहीं खर्च करने की हिदायत
पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क के वरिष्ठ नेताओं और मध्य स्तरीय गुर्गों को गिरफ्तार करने और उनके खिलाफ अभियोजन चलाने में प्रगति दिखाई है. सांसद डाना रोहराबाशर के संशोधन में एक अतिरिक्त आवश्यकता का प्रावधान किया गया है कि रक्षा मंत्री अमेरिकी संसद के समक्ष प्रमाणित करें कि पाकिस्तान अपनी सेना या कोई कोष या अमेरिका से मिले किसी उपकरण का उपयोग राजनीतिक या धार्मिग आजादी चाह रहे अल्पसंख्यक समूहों को सताने में नहीं कर रहा है.

शकील अफरीदी को तुरंत रिहाई की मांग
एनडीएए 2017 में अमेरिकी संसद की यह भावना शामिल की गई है कि शकील अफरीदी एक अंतरराष्ट्रीय नायक हैं और पाकिस्तान सरकार को तत्काल उन्हें रिहा कर देना चाहिए. एनडीएए 2017 को अब सीनेट में पारित होना होगा. तब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के दस्तखत के लिए इसे व्हाइट हाउस भेजा जा सकेगा. ओबामा के दस्तखत के बाद यह कानून बन जाएगा.

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इसी हफ्ते व्हाइट हाउस ने पाकिस्तान को 45 करोड़ डॉलर की मदद समेत इस बिल के अनेक प्रावधानों पर सख्त ऐतराज जताए थे. बहरहाल, प्रतिनिधि सभा की विदेशी मामलों की समिति के अध्यक्ष मार्क थोर्नबेरी ने बुधवार देर रात व्हाइट हाउस के ऐतराजों को नजरअंदाज करने का फैसला किया और प्रतिनिधि सभा के सदस्यों से इन संशोधनों को ब्लॉक में स्वीकार करने को कहा जिसमें कोई वोटिंग नहीं होती है.

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