
दुनिया के 50 बड़े बैंकों में शामिल स्टेट बैंक ऑफ इंडिया अपने प्रमुख अधिकारियों को जो सैलरी देता है वह प्राईवेट बैंको जैसे ICICI और HDFC बैंको के शीर्ष अधिकारियों की सैलरी से काफी कम है पिछले साल अगस्त में आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कम वेतन के मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि यह सरकारी बैंकों के शीर्ष को आर्कषित करने के हिसाब से बेहद कम है खासकर लैटरल एंट्री (जिसका सिलेक्शन सीधे तौर पर हो) के हिसाब से.
सभी बैंको के सालाना रिपोर्ट के हिसाब से SBI चेयरमैन अरुंधती भट्टाचार्य की टुक होम सैलरी 28.96 लाख रुपए थी, जो कि निजी बैंकों के प्रमुखों की सैलरी से काफी कम है. अगर हम ICICI बैंक की एमडी और सीईओ चंदा कोचर की बात करें तो पिछले वित्तीय वर्ष में उनकी सैलरी 2.66 करोड़ थी, साथ ही उन्हें 2.20 करोड़ का परफॉर्मेंस बोनस भी मिला था, इसके आलावा उन्हें 2.43 रुपए भत्ते एवं अन्य लाभ प्राप्त किए थे.
इसके अलावा एचडीएफसी बैंक के एमडी आदित्य पुरी की सैलरी 10 करोड़ रुपए थी और इसके साथ ही पिछले साल उन्हें 57 करोड़ के स्टॉक ऑप्शन भी दिए जाते थे. वही अगर एक्सिस बैंक के एमडी और सीईओ शिखा शर्मा की बेसिक सैलरी 2.7 करोड़ है और 1.35 करोड़ की वेरिएबल पे भी मिलता है, इसके साथ ही उनके अन्य अलांउस जैसे 90 लाख का एचआरए भी दिया है.
मुंबई के एक बैंकिग कॉन्फ्रेंस में राजन ने कहा था कि सरकारी बैंक अपने निचले पद के अधिकारियों को ज्यादा और शीर्ष अधिकारियों को कम वेतन देते है और इसके साथ ही मजाकिया अंदाज में कहा था कि उन्हें खुद कम वेतन मिलता है.