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शिक्षा के क्षेत्र में नए अवसरों ने ना केवल स्टूडेंट्स के लिए ज्ञान के दरवाजे खोले हैं बल्कि टीचरों को भी कई तरह के अवसर मुहैया कराए हैं. भारत में टीचिंग बेहद गरिमामय प्रोफेशन है और टीचरों का स्थान हमेशा ही ऊंचा रहा है. यही कारण है कि भारत में ज्यादातर युवा टीचर बनना चाहते हैं.
टीचिंग लाइन में करियर
आर्थिक उदारीकरण के बाद से प्राइवेट स्कूलों में ढेरों वैकेंसी मौजूद हैं. देश के दूर-दराज इलाकों में भी अब स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटीज खुल रही हैं और इसमें बड़ी पूंजी का निवेश किया जा रहा है. जाहिर है कि इन स्कूल-कॉलेज में पढ़ाने के लिए योग्य, ट्रेन्ड और प्रोफेशनल टीचर्स की मांग भी बढ़ती जा रही है.
टीचिंग लाइन से संबंधित कोर्स
टीचर बनने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए इंटरमीडिएट, ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन स्तर पर कई कोर्स मौजूद हैं, जिनमें प्रमुख हैं:
1. बीएड (बैचलर ऑफ एजुकेशन) : टीचिंग क्षेत्र में आने के लिए युवाओं के बीच यह कोर्स काफी लोकप्रिय है. पहले यह कोर्स एक साल का था, जिसे 2015 से बढ़ाकर दो साल का कर दिया गया है. इस कोर्स को करने के लिए एंट्रेंस एग्जाम देना होता है. एग्जाम देने के लिए ग्रेजुएट होना जरूरी है. कई प्राइवेट कॉलेज एंट्रेंस टेस्ट के बिना भी सीधे एडमिशन तो देते हैं मगर उन कॉलेजों से बीएड करना ज्यादा लाभदायक है जो एंट्रेंस प्रोसेस के तहत दाखिला देते हैं. हर साल बीएड कोर्स के लिए एंट्रेंस टेस्ट कंडक्ट किया जाता है. राज्यस्तरीय परीक्षाओं के अलावा इग्नू, काशी विद्यापीठ, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, दिल्ली यूनिवर्सिटी के बीएड पाठ्यक्रमों को काफी बेहतर माना जाता है. इस कोर्स को करने के बाद उम्मीदवार प्राइमरी, अपर प्राइमरी और हाई स्कूल में पढ़ाने के लिए एलिजिबल हो जाते हैं.
2. बीटीसी (बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट): यह कोर्स केवल उत्तर प्रदेश के उम्मीदवारों के लिए है और इसमें केवल राज्य के ही स्टूडेंट हिस्सा ले सकते हैं. यह भी दो साल का कोर्स है. इस कोर्स को करने के लिए एंट्रेंस एग्जाम देना होता है. इस परीक्षा के लिए जिले स्तर पर काउंसलिंग कराई जाती है. परीक्षा देने के लिए उम्मीदवारों का ग्रेजुएट होना जरूरी है. साथ ही इसके लिए आयु सीमा 18-30 साल रखी गई है. इस कोर्स को करने के बाद उम्मीदवार प्राइमरी और अपर प्राइमरी लेवल के टीचर बनने के योग्य हो जाते हैं.
3. एनटीटी (नर्सरी टीचर ट्रेनिंग): यह कोर्स महानगरों में ज्यादा प्रचलित है. यह दो साल का होता है. इस कोर्स में एडमिशन 12वीं के अंकों के आधार पर या कई जगह प्रवेश परीक्षा के आधार पर दिया जाता है. प्रवेश परीक्षा में करंट अफेयर्स, जनरल स्टडी, हिन्दी, रीजनिंग, टीचिंग एप्टीट्यूड और अंग्रेजी से सवाल पूछे जाते हैं. इस कोर्स को करने के बाद उम्मीदवार प्राइमरी टीचर बनने के लिए एलिजिबिल हो जाते हैं.
4. बीपीएड (बैचलर इन फिजिकल एजुकेशन): फिजिकल एजुकेशन में रोजगार के काफी नए अवसर शिक्षकों को मिल रहे हैं. निजी और सरकारी स्कूल बड़े पैमाने पर फिजिकल टीचरों की बहाली कर रहे हैं. इस पाठ्यक्रम में शिक्षक बनने के लिए दो तरह के कोर्स कराए जाते हैं. जिन उम्मीदवारों ने ग्रेजुएट लेवल पर फिजिकल एजुकेशन एक सब्जेक्ट के रूप में पढ़ा है वे एक साल वाला बीपीएड कोर्स कर सकते हैं. वहीं, जिन्होंने 12वीं में फिजिकल एजुकेशन पढ़ी हो वे तीन साल वाला स्नातक कोर्स कर सकते हैं. इसके एंट्रेंस टेस्ट में फिजिकल फिटनेस टेस्ट के साथ-साथ लिखित परीक्षा भी देनी होती है. एंट्रेंस टेस्ट में पास होने के बाद इंटरव्यू भी क्वालिफाई करना जरूरी है.
5. जेबीटी (जूनियर टीचर ट्रेनिंग): जूनियर टीचर ट्रेनिंग कोर्स के लिए न्यूतम योग्यता 12वीं है और इस कोर्स में दाखिला कहीं मेरिट के आधार पर तो कहीं प्रवेश परीक्षा के आधार पर होता है. इस कोर्स को करने के बाद उम्मीदवार प्राइमरी टीचर बनने के लिए एलिजिबिल हो जाते हैं.
6. डीएड (डिप्लोमा इन एजुकेशन) : डिप्लोमा इन एजुकेशन का यह दो वर्षीय कोर्स बिहार और मध्य प्रदेश में प्राइमरी शिक्षक बनने के लिए कराया जाता है. इस कोर्स में 12वीं के अंकों के आधार पर एडमिशन होता है.कहां से करें कोर्स:
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, (इग्नू) नई दिल्ली
इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली
सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन, नई दिल्ली
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू), वाराणसी
अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू), अलीगढ़
एमिटी यूनिवर्सिटी
स्कॉलरशिप: कई सरकारी कॉलेज विभिन्न शर्तों के साथ फीस माफी या फीस में छूट भी देते हैं.
टीचर बनने के लिए जरूरी परीक्षाएं: टीचर बनने के लिए सिर्फ कोर्स करना ही काफी नहीं है बल्कि कुछ एग्जाम भी क्वालिफाई करने होते हैं:1. टीजीटी और पीजीटी: यह परीक्षा राज्य स्तर पर आयोजित की जाती है. मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और दिल्ली में यह परीक्षा लोकप्रिय है. टीजीटी के लिए ग्रेजुएट और बीएड होना जरूरी है तो पीजीटी के लिए पोस्ट ग्रेजुएट और बीएड डिग्री आवश्यक है. टीजीटी पास शिक्षक छठी क्लास से लेकर 10वीं तक के बच्चों को पढ़ाते हैं तो पीजीटी के शिक्षक सेकेंडरी और सीनियर सेकेंडरी स्टूडेंट्स को पढ़ाते हैं.
2. टीईटी (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट): भारत के कई राज्यों में इस परीक्षा का आयोजन बीएड और डीएड कोर्स करने वालों के लिए होता है. कई राज्यों के हाईकोर्ट ने यह बात स्पष्ट कर दी है कि बीएड करने के बाद शिक्षक बनने के लिए इस परीक्षा को पास करना अनिवार्य है. इस परीक्षा में वे स्टूडेंट भी हिस्सा ले सकते हैं जिनके बीएड का रिजल्ट नहीं आया है. इस परीक्षा को पास करने के बाद राज्य सरकार कुछ निश्चित सालों के लिए एक सर्टिफिकेट देती है. यह अवधि ज्यादातर पांच-सात साल की होती है. इस दौरान उम्मीदवार शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन कर सकता है.
3. सीटीईटी (सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट): केंद्रीय विद्यालय, राजधानी क्षेत्र दिल्ली के अधीन स्कूल, तिब्बती स्कूल और नवोदय विद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए इस परीक्षा को पास करना आवश्यक होता है. यह परीक्षा सीबीएसई की ओर से आयोजित की जाती है. इस परीक्षा में ग्रेजुएट पास और बीएड डिग्री वाले स्टूडेंट ही हिस्सा ले सकते हैं. इस परीक्षा को पास करने के लिए उन्हें 60 फीसदी अंक लाना अनिवार्य है. इस परीक्षा को पास करने के बाद उम्मीदवार को एक सर्टिफिकेट दिया जाता है जो सात साल तक मान्य रहता है. हालांकि राज्य स्तर की परीक्षा में इस सर्टिफिकेट की कोई उपयोगिता नहीं है.
4. यूजीसी नेट: किसी भी कॉलेज में लेक्चरर की नौकरी पाने के लिए इस परीक्षा में पास होना जरूरी है. यह परीक्षा साल में दो बार दिसंबर और जून में आयोजन की जाती है. नेट एग्जाम में तीन पेपर होते हैं. उम्मीदवार अंग्रेजी, हिंदी किसी भी माध्यम से परीक्षा दे सकते हैं. पहले पेपर में जनरल नॉलेज, टीचिंग एप्टीट्यूट, रीजनिंग और दूसरे तथा तीसरे पेपर में चुने गए विषय से सवाल पूछे जाते हैं.
नौकरी के अवसर: इस क्षेत्र में प्राइवेट और गवरमेंट दोनों ही सेक्टर्स में जॉब ऑप्शंस हैं. सरकारी संस्थानों के अलावा उम्मीदवार प्राइवेट स्कूलों से लेकर कोचिंग संस्थानों में भी जॉब कर सकते हैं. यही नहीं उम्मीदवार खुद का भी कोचिंग इंस्टीट्यूट खोल सकते हैं.शुरुआती सैलरी: शिक्षकों को प्रारंभ में राज्यस्तरीय स्कूलों में आकर्षक सैलरी नहीं मिलती है. उनकी सैलरी 10-20 हजार के बीच में होती है. लेकिन अनुभव बढ़ने के साथ ही सैलरी काफी आकर्षक हो जाती है. वहीं, केंद्रीय स्कूलों और निजी स्कूलों में सैलरी काफी अच्छी है.