
श्रीयंत्र नाम से ही पता चलता है ये धन की देवी मां लक्ष्मी का यंत्र है. कहते हैं कि जहां श्रीयंत्र की स्थापना होती है वहां मां लक्ष्मी आने के लिए विवश हो जाती हैं. एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार लक्ष्मी मां नाराज होकर बैकुंठ चली गईं. उनके बिना धरती पर त्राहि-त्राहि मच गई. तब देवगुरु बृहस्पति ने लक्ष्मीजी को आकर्षित करने के लिए 'श्रीयंत्र' स्थापना और पूजन का उपाय सुझाया. फिर मां लक्ष्मी को धरती पर आने के लिए विवश होना पड़ा.
क्या होते हैं यंत्र?
- यंत्र एक विशेष प्रकार की सधी हुई ज्यामितीय आकृति है जो मन्त्रों का भौतिक स्वरुप है.
- किसी विशेष मंत्र या शक्ति को अगर रूप में ढाला जाए तो यंत्र का निर्माण होता है.
- यंत्र में आकृति, रेखाओं और बिंदुओं का विशेष प्रयोग होता है.
- एक भी रेखा, आकृति या बिंदु के गलत होने से अर्थ का अनर्थ हो सकता है.
- यंत्र दो तरह के होते हैं- पहला रेखाओं और आकृतियों वाले और दूसरा अंकों वाले यंत्र.
- अंकों वाले यंत्र की तुलना में आकृति वाले यन्त्र ज्यादा ताकतवर होते हैं.
श्रीयंत्र की महिमा क्या है?
ये तो पूरा संसार जानता है कि धन और संपन्नता के लिए मां लक्ष्मी की कृपा जरूरी है लेकिन मां लक्ष्मी की कृपा मिलती कैसे हैये बहुत कम लोग ही समझ पाए हैं. आज हम आपको मां लक्ष्मी की कृपा पाने का सबसे अचूक और दिव्य उपाय बताने जा रहे हैं.
- श्रीयंत्र की सिद्धि भगवान शंकराचार्य ने की थी.
- दुनिया में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और ताकतवर यंत्र श्रीयंत्र ही है.
- हालांकि श्रीयंत्र को धन का प्रतीक मानते हैं लेकिन ये शक्ति और अपूर्व सिद्धि का भी प्रतीक है.
- श्रीयंत्र के प्रयोग से सम्पन्नता, समृद्धि और एकाग्रता की प्राप्ति होती है.
- श्रीयंत्र के सही प्रयोग से हर तरह की दरिद्रता दूर की जा सकती है.
- श्रीयंत्र कई तरह का होता है- समतल, उभरा हुआ और पिरामिड की तरह का भी.
- हर तरह का श्रीयंत्र अगल तरीके से लाभकारी होता है.
श्रीयंत्र के प्रयोग की सावधानियां क्या हैं?
मां लक्ष्मी का प्रिय श्रीयंत्र इंसान को धन, संपदा, संपन्नता और वैभव से मालामाल कर सकता है लेकिन कोई भी यंत्र या मंत्र तभी अपना पूरा प्रभाव दिखा पाता है जब हम उसे सही नियम और सावधानी से प्रयोग करते हैं.
- श्रीयंत्र की आकृति दो प्रकार की होती है- उर्ध्वमुखी और अधोमुखी.
- उर्ध्वमुखी का अर्थ है ऊपर की ओर और अधोमुखी का अर्थ है नीचे की ओर.
- भगवान शंकराचार्य ने उर्ध्वमुखी प्रतीक को सबसे ज्यादा मान्यता दी है.
- श्रीयंत्र की स्थापना करने के पहले देख लें कि यंत्र बिल्कुल ठीक बना हो.
- क्योंकि गलत यंत्र की स्थापना करके आप कई तरह की मुश्किलों से घिर सकते हैं.
- श्रीयंत्र का चित्र आप काम करने के स्थान पर, पढ़ने के स्थान पर और पूजा के स्थान पर लगा सकते हैं.
- जहां भी श्रीयंत्र की स्थापना करें, वहां सात्विकता रखें और नियमित मंत्र जाप करें.
एकाग्रता के लिए कैसे करें श्रीयंत्र का प्रयोग?
मां लक्ष्मी का यंत्र होने के कारण ज्यादातर लोग यही समझते हैं कि श्रीयंत्र से केवल धन की कामना पूरी हो सकती है लेकिन आज हम आपको मानसिक शांति और एकाग्रता के लिए श्रीयंत्र का उत्तम प्रयोग समझाएंगे...
- उर्ध्वमुखी यंत्र का चित्र अपने काम या पढ़ने की जगह पर लगाएं.
- श्रीयंत्र का चित्र रंगीन हो तो ज्यादा अच्छा होगा.
- श्रीयंत्र को इस तरह लगाएं कि ये आपकी आंखों के ठीक सामने हो.
- जहां भी श्रीयंत्र को स्थापित करें, वहां गंदगी न फैलाएं, नशा ना करें.
धन के लिए कैसे करें श्रीयंत्र का प्रयोग?
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो अलग-अलग कामनाओं के लिए श्रीयंत्र का अलग प्रयोग होता है. अगर आपको जीवनभर के लिए धन और संपन्नता चाहिए तो ऐसे करें इस यंत्र का प्रयोग...
- स्फटिक का पिरामिड वाला श्री यंत्र पूजा के स्थान पर स्थापित करें.
- इसे गुलाबी कपड़े या छोटी सी चौकी पर स्थापित करें.
- रोज सुबह इस यंत्र को जल से स्नान कराएं और फूल चढ़ाएं.
- फिर घी का दीपक जलाकर श्री यन्त्र के मंत्र का जाप करें.
- मंत्र होगा- श्रीं ह्रीं क्लीं एं सौ: ऊं ह्रीं श्रीं क ए इ ल ह्रीं ह स क ह ल ह्रीं स क ल ह्रीं सौ: एं क्लीं ह्रीं श्रीं.