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यूपी के गवर्नर राम नाईक ने कहा, मैं आरएसएस का स्वयंसेवक हूं

राज्यपाल के संवैधानिक पद पर आसीन होने के बावजूद राम नाईक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अपने रिश्तों को जाहिर करने में जरा भी संकोच नहीं करते. राष्ट्रपति की चौखट पर आजम खान के उनकी शिकायत करने पर भी उनका जरा भी ध्यान नहीं है. राम नाईक से खास बातचीतः

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक
आशीष मिश्र
  • लखनऊ,
  • 04 मार्च 2015,
  • अपडेटेड 12:18 PM IST

राज्यपाल के संवैधानिक पद पर आसीन होने के बावजूद राम नाईक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से अपने रिश्तों को जाहिर करने में जरा भी संकोच नहीं करते. राष्ट्रपति की चौखट पर आजम खान के उनकी शिकायत करने पर भी उनका जरा भी ध्यान नहीं है. इसके दो दिन बाद ही 25 फरवरी की दोपहर तीन बजे वे राजभवन स्थित अपने कार्यालय में फाइलें निबटाने में मशगूल थे. उन्होंने इंडिया टुडे से खास बातचीत में अपने ऊपर लग रहे आरोपों और सपा सरकार से राजभवन के रिश्तों पर बगैर किसी लाग-लपेट के राय जाहिर की. पेश है बातचीत के मुख्य अंश:

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10वीं क्लास तक मत पढ़ाओ अंग्रेजी: नाईक

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल के तौर पर आप अपने पिछले सात महीने के कार्यकाल को कैसा आंकते हैं?
इन सात महीनों में मैं अपनी जिम्मेदारी के दो भाग करता हूं. पहला कुलाधिपति के तौर पर प्रदेश के 24 विश्वविद्यालयों में प्रवेश, समय से परीक्षा और परिणाम, तय समय पर डिग्री मिलने, दीक्षांत समारोह के आयोजन और गुणवत्ता को प्राथमिकता दी है. दूसरा, यूपी में मुझे जो संवैधानिक जिम्मेदारी मिली है, उसमें मैं केंद्र और राज्य के बीच सेतु का काम करूंगा.

आपकी सक्रियता, खासकर राजभवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस की आलोचना हो रही है?
राज्यपाल का पद सिर्फ राजभवन में बैठने का नहीं है. राज्य किस प्रकार चल रहा है, यह देखना, मुख्यमंत्री को सुझाव देना और जनता से एक जिंदा संपर्क बनाए रखना भी मेरी जिम्मेदारी है. कुछ लोगों को लगता है कि यह रिटायरमेंट का पद है. मैं ऐसा नहीं मानता.

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सपा ने अपने राष्ट्रीय अधिवेशन में आपके ऊपर मुख्यमंत्री की तरह काम करने का आरोप लगाया था?
मेरे ऊपर अगर किसी ने राजनैतिक टीका- टिप्पणी की है तो मैं उस पर विचार करता हूं, लेकिन इसके बारे में उत्तर नहीं देता. यह मेरे पद की गरिमा और दायित्व के खिलाफ है

सपा सरकार के कैबिनेट मंत्री आजम खान ने राष्ट्रपति के पास जाकर आपकी शिकायत की है?
मेरा जो काम है, वह मैं कर रहा हूं. हो सकता है कि मेरे किसी काम के कारण आजम खान को ठेस पहुंचती होगी, लेकिन मुझे उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है.

आजम खान ने तो आपको भी पत्र लिखकर अपनी शिकायत जाहिर की थी?
आजम खान ने मुझे जो पत्र लिखा, वह पहले प्रेस में गया और बाद में मुझे मिला. मैं उनके जैसा नहीं करना चाहता. मैं अपने पद की गरिमा बनाकर रखना चाहता हूं.

आजम खान का आरोप है कि आपके बयानों से मुसलमानों में डर का माहौल पैदा हो गया है?
मुस्लिम समाज जानता है कि मैं कैसा हूं. मेरे यहां आने के बाद इस समाज के साथ मेरे बहुत मधुर संबंध बने हुए हैं

आरएसएस के मुखिया को राजभवन में भोजन पर बुलाने पर आपकी आलोचना हो रही है?
मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक हूं. राजभवन के दरवाजे सबके लिए खुले हुए हैं. मैंने सभी नेताओं को राजभवन में आमंत्रित किया है. जिस संगठन से मैं बचपन से जुड़ा हुआ हूं, उसके मुखिया अगर शहर में आते हैं तो उनको भोजन पर बुलाने का एक स्वाभाविक कार्य मैंने किया है.

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अयोध्या में फिर बाबरी मस्जिद विवाद बातचीत से सुलझाने के प्रयास तेज हुए हैं?
यह समस्या आपसी बातचीत या सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के आधार पर ही सुलझ सकती है. इसमें अलग से कोई प्रयास करने की आवश्यकता नहीं है.

प्रदेश में कानून व्यवस्था को सुधारने के सरकारी प्रयास से क्या आप सहमत हैं?
यूपी की बिगड़ी कानून व्यवस्था बहुत पीड़ा देती है. निश्चित तौर पर प्रशासन और कुछ मात्रा में जनमानस भी इसके लिए जिम्मेदार है.

बीएसपी अध्यक्ष लगातार आपके माध्यम से राष्ट्रपति से यूपी में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर रही हैं?
मैं हर महीने प्रदेश की स्थिति के बारे में राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेजकर सभी बातों की जानकारी दे रहा हूं.

भ्रष्टाचार से जुड़ी लोकायुक्त की रिपोर्ट पर सपा सरकार कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है?
लोकायुक्त की रिपोर्ट पर कार्रवाई करना सरकार का कर्तव्य है. जब यह पूरा नहीं होता है तो अधिनियम के अनुसार लोकायुक्त मुझे रिपोर्ट करते हैं. मैंने मुख्यमंत्री से जवाब मांगा है. तीन महीने में जवाब न मिलने पर मैं इन रिपोर्टों को विधानसभा के पटल पर रखवाऊंगा.

स्पीकर्स कॉन्फ्रेंस में सभी नेताओं से विधानसभा सत्र में हंगामा न करने की आपकी अपील का असर नहीं दिखा?
मैं तो अपेक्षा करता था कि इस बार मुझे राज्यपाल का अभिभाषण पढ़ने को मिलेगा. मैं अभिभाषण न पढ़ सका, इसका मुझे दुख है.

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अपने कार्यकाल के दौरान आपने कई बार सपा सरकार के कामकाज पर आपत्ति जताई है?
ग्रेटर नोएडा चिकित्सा विश्वविद्यालय के विधेयक की तात्कालिकता के बारे में सरकार ने कुछ स्पष्ट नहीं किया था. अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन को कैबिनेट मंत्री का दर्जा देना संविधान के खिलाफ है. उच्च न्यायालय भी इसके खिलाफ फैसला दे चुका है. इसका पालन करवाना सबका कर्तव्य है, मेरा भी.

राजभवन और सपा सरकार के बीच रिश्ते बहुत सहज नहीं दिखाई दे रहे हैं?
मुझ पर विश्वास रखना है तो मुझसे संबंध बहुत अच्छे हैं. मुख्यमंत्री पर विश्वास है तो वे भी राजभवन से अपने अच्छे रिश्तों की बात कह चुके हैं. जब दोनों राजी हैं तो दूसरे लोगों को अपनी राय सुधारनी चाहिए.

पिछले 7-8 महीनों के दौरान यूपी में धर्मांतरण और लव जेहाद जैसे मुद्दों ने प्रदेश में काफी तनाव पैदा किया है?
इन मुद्दों को बेवजह राजनैतिक रंग दिया गया है. जिसे विवादास्पद रंग दिया जा रहा है, उस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता.

बिजली चोरों को सरेआम जूते मारने जैसे आपके कई बयान काफी विवादित रहे हैं?
सरकार ने बिजली चोरी करने वालों के लिए बाकायदा पुलिस स्टेशन को आदेश दिए हैं. जो मैंने कहा, वह अब सरकार कर रही है. इससे मुझे खुशी है.

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कुलाधिपति के रूप में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अभी आगे आपको क्या करना है? क्या चुनौतियां हैं?
कई विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की जगह खाली है, लेकिन किसी-न-किसी कारण से वह भरी नहीं है. कुछ कॉलेजों ने मानक से ज्यादा छात्रों को प्रवेश दिया है. इसे रोकने पर कुलपति को धमकी मिल रही है. इसके बावजूद विश्वविद्यालयों को पटरी पर लाया जाएगा. गुणवत्तापरक शिक्षा के साथ शोध कार्य बढ़ाना ही अगला लक्ष्य है.

आपकी नजर में सपा सरकार की क्या अच्छाइयां और बुराइयां हैं?
यह मेरी सरकार है और इसके बारे में मैं कोई टीका-टिप्पणी नहीं करूंगा.

आपके कार्यकाल में राजभवन की कार्यप्रणाली में क्या बदलाव आया है?
यह देखना जनता का काम है. राजभवन के बारे में लोग मुझे मिलकर सुझाव दे रहे हैं. यहां हर आने वाले का स्वागत है.

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