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हर रोज मानसिक दर्द से जूझती हूं: उबर रेप पीड़िता

नई दिल्ली में उबर कंपनी के एक ड्राइवर से रेप की शिकार हुई 25 साल की युवती ने कहा कि वह हर रोज मानसिक तौर पर जूझ रही है. पीड़िता ने अमेरिकी कैब सेवा देने वाली कंपनी उबर पर आरोप लगाया कि भारत में परिचालन की अपनी नीतियों में मामूली बदलाव कर उसने उसके जख्मों पर नमक छिड़का है.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 09 मार्च 2015,
  • अपडेटेड 1:25 PM IST

नई दिल्ली में उबर कंपनी के एक ड्राइवर से रेप की शिकार हुई 25 साल की युवती ने कहा कि वह हर रोज मानसिक तौर पर जूझ रही है. पीड़िता ने अमेरिकी कैब सेवा देने वाली कंपनी उबर पर आरोप लगाया कि भारत में परिचालन की अपनी नीतियों में मामूली बदलाव कर उसने उसके जख्मों पर नमक छिड़का है.

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर अपने संदेश में पीड़िता ने कहा, 'जब तक महिलाएं सुरक्षित महसूस नहीं करती, हम समानता हासिल नहीं कर सकते. दुख की बात यह है कि उबर इस बात को नहीं समझती.' महिला ने कहा कि वह पिछले साल दिसंबर में हुई घटना को भूलना चाहती है, लेकिन उस जघन्य हमले के बारे में उसे बार-बार याद करना पड़ता है, खासतौर पर तब जब आरोपी के वकील ने ट्रायल के दौरान दूसरी बार उससे जिरह की.

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अपने वकील डगलस विग्डोर के जरिए जारी किए गए संदेश में कहा, इसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता कि मैं किस हालात से गुजर रही हूं और मैं अब भी मानसिक तौर पर जूझ रही हूं. यह हर रोज हो रहा है. उन्होंने जोर देकर कहा कि एक रेप पीड़िता और भारतीय महिला होने के नाते अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एक अहम मौका है ताकि हम देख सकें कि हम कहां पहुंचे हैं और समानता का दावा करने से पहले कितना कुछ पाना बाकी है. पीड़िता ने उबर पर बरसते हुए कहा कि वह भारत की राजधानी नई दिल्ली में अपने सुरक्षा उपायों में मामूली बदलाव कर अब भी टैक्सी चला रही है और जख्म पर नमक छिड़क रही है.

वहीं, दूसरी ओर उबर मामले में पीड़िता के पिता का दावा है कि अदालत में शनिवार को कमरे में बंद कार्रवाई में होटल शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया, जिस तरह की मीडिया में खबरें आई थीं. उन्होंने कहा कि आरोपी के वकील द्वारा पीड़ित से जिरह के दौरान उससे पूछा गया था कि वह घटना से पहले अपने दोस्तों के साथ किस रेस्तरां में गई थी. लड़की के पिता ने दावा किया कि मीडिया में आई यह खबर गलत है कि बचाव पक्ष के वकील ने उनकी बेटी से घटना से पहले उसके दोस्तों के साथ गुड़गांव के एक होटल में जाने के बारे में पूछा था.

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उन्होंने कहा, होटल शब्द कार्रवाई में नहीं आया. इसका अलग अर्थ निकलता है. प्राथमिकी और आरोप पत्र में इस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया. आरोपी शिवकुमार यादव के वकील बंद कमरे में पीड़िता से जिरह कर रहे हैं. मामले में अभियोजन पक्ष के अनेक गवाहों को फिर से बुलाने की यादव की याचिका को हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने मंजूर कर लिया था. न्यायाधीश और केवल संबंधित पक्षों की मौजूदगी में बयान दर्ज किया गया.

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