
तमिलनाडु की जयललिता सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के लिए उनके केस की तुलना राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के मामले से की है. राज्य सरकार ने गुरुवार को सु्प्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि बापू की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले नाथूराम गोडसे के भाई विनायक गोडसे को 16 साल बाद किया जा सकता है तो राजीव गांधी के हत्यारों को क्यों नहीं?
16 साल बाद रिहा हुआ था विनायक गोडसे
प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ के सामने तमिलनाडु सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने तर्क दिया कि काफी समय पहले इस न्यायालय से बहुत दूर नहीं, एक वयोवृद्ध व्यक्ति स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय था. कुछ लोगों ने इसके बावजूद उसकी हत्या करने का निश्चय किया और वह व्यक्ति महात्मा गांधी था. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से महान कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है. इस मामले में षड़यंत्रकारी गोपाल विनायक गोडसे को 16 साल बाद रिहा कर दिया गया था. किसी ने उस पर सवाल नहीं उठाया तो फिर इन व्यक्तियों (राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषी) को क्यों नहीं.
अब्राहम लिंकन मर्डर केस का भी हवाला दिया
गोडसे को इस मामले में अक्टूबर, 1964 में रिहा किया गया था जबकि एक अन्य मामले में वह फिर गिरफ्तार हुआ और अंतत: 1965 में जेल से रिहा हुआ. द्विवेदी ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन की हत्या के मामले का भी हवाला दिया जिसमे आठ दोषियों में से चार को फांसी दी गयी जबकि एक दोषी की जेल में मृत्यु हो गयी और तीन अन्य को माफी दे दी गयी थी. उन्होंने कहा, यह दु:खद है कि इन नेताओं की हत्या की गयी. मैं कह रहा हूं कि दरवाजा खुला रखा जाए. हमें दरवाजे बंद नहीं करने चाहिए और लंबा समय बीत जाने के बाद आज इन दोषियों को जेल में क्यों रखते हैं.
दोषियों का बचाव नहीं कर रहे: वकील
द्विवेदी ने स्पष्ट किया किया कि वह इन दोषियों के कृत्य का बचाव नहीं कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि राजीव गांधी हत्याकांड का मुख्य षड़यंत्रकारी वेलुपिल्लई प्रभाकरण था जिसे कभी भी भारत की अदालत में नहीं लाया गया. हालांकि यह अलग बात है और सभी को पता है कि बाद में उसके समूचे परिवार का खात्मा कर दिया गया और उसके नाबालिग बच्चे को भी नहीं बख्शा गया. इन सातों दोषियों को जेल से रिहा करने की वकालत करते हुये उन्होंने कहा कि जाफना के तमिल और भारतीय तमिलों के बीच बहुत पुराने संबंध हैं.
केंद्र की याचिका स्वीकार कर सकता है सुप्रीम कोर्ट
पीठ राजीव गांधी हत्याकांड में दोषियों की उम्रकैद की सजा माफ करके उन्हें रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले का विरोध करने की केन्द्र की याचिका की स्वीकार्यता पर विचार कर रही है. याचिका की स्वीकार्यता के अलावा, पीठ इस बात पर भी फैसला करेगी कि एक कैदी जिसकी मौत की सजा घटाकर उम्रकैद में बदली गई हो, उसे राज्य सरकार द्वारा क्षमा किया जा सकता है या नहीं.
पीठ यह भी फैसला करेगी कि उम्रकैद का मतलब दोषी के बचे हुए पूरे जीवन काल में कैद की सजा है या दोषी को माफी के दावे का अधिकार होता है. इससे पहले, तमिलनाडु सरकार ने अदालत से कहा था कि राज्य सरकारें दोषियों की सजा निलंबित करने या उसे माफ करने पर खुद फैसला कर सकती हैं और उन्हें क्षमा करने की वैधानिक शक्तियां शर्तों पर निर्भर नहीं हैं.