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मोदी-अमित शाह साइडलाइन हों NDA में वापस आ सकते हैं पुराने पार्टनर!

विपक्ष के कई नेताओं ने संकेत दिया है कि अगर बीजेपी में नरेंद्र मोदी और अमित शाह को किनारे कर दिया जाए तो वे फिर से से एनडीए का हिस्सा बन सकते हैं.

पीएम मोदी अौर अमित शाह से है कई दलों को दिक्कत पीएम मोदी अौर अमित शाह से है कई दलों को दिक्कत
दिनेश अग्रहरि
  • नई दिल्ली,
  • 11 जून 2018,
  • अपडेटेड 1:18 PM IST

विपक्ष ने भले ही पिछले महीने बेंगलुरु में एचडी कुमारस्वामी के शपथग्रहण समारोह के दौरान जबर्दस्त एकजुटता दिखाई हो, लेकिन इस दौरान मौजूद कई नेता अब दूसरे तरह का ही संकेत दे रहे हैं.

विपक्ष के कई नेताओं ने संकेत दिया है कि अगर बीजेपी में नरेंद्र मोदी और अमित शाह को किनारे कर दिया जाए तो वे फिर से से एनडीए का हिस्सा बन सकते हैं.

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द टेलीग्राफ अखबार ने कई नेताओं से ऑफ द रिकॉर्ड बातचीत के आधार पर यह खबर दी है. वाजपेयी युग में एनडीए का हिस्सा रहे कई नेताओं ने संकेत दिया है कि प्रधानमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष ने जिस तरह से सहयोगी दलों और विपक्षी शासन वाले राज्यों के साथ व्यवहार किया है, उससे उन्हें दिक्कत है. अगर एनडीए का कोई नया ढांचा बने जिसमें ये नेता साइडलाइन हों तो वे फिर से एनडीए में शामिल हो सकते हैं.

विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिश में मार्च में दिल्ली दौरे पर आईं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुलकर कहा था, 'मैं यह नहीं कह रही कि बीजेपी के सभी नेता बुरे हैं. हमें राजनाथ जी जैसे नेता के साथ काम करने में कोई दिक्कत नहीं है.'

जब एक पत्रकार ने पूछा था कि बीजेपी और तेलुगु देशम पर वे कैसे भरोसा कर सकती हैं, जो एनडीए का हिस्सा हैं, तो इस पर ममता बनर्जी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस भी तो कभी एनडीए का हिस्सा रही है. उन्होंने कहा, 'लेकिन वह अलग एनडीए था और तब अटलजी थे.'

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हाल में मोदी सरकार से अलग होने वाले दल तेलुगु देशम के सांसद भी ऑफ द रिकॉर्ड यह बात स्वीकार करते हैं कि चुनाव के बाद सभी विकल्प खुले हुए हैं, लेकिन मोदी और शाह के नेतृत्व वाले बीजेपी के साथ फिर खड़ा होना मुश्किल होगा.

तेलुगू देशम के एक सांसद ने कहा, 'वे अपने सहयोगियों का बिल्कुल सम्मान नहीं करते. इसे हम आसानी से भुला नहीं सकते.' बीजेपी के केंद्रीय नेृतृत्व ने कथि‍त रूप से जिस तरह से क्षेत्रीय दलों और सरकारों को परेशान किया है, उससे एनडीए के भीतर और बाहर दोनों तरह के दल नाराज हैं.

एनडीए में शामिल एक दल के संसद सदस्य ने कहा, 'वाजपेयी जी और आडवाणी जी ने कभी भी सहयोगी दलों को उनके अपने क्षेत्र में दबाने की कोशिश नहीं की थी.

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