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मेलबर्न में पढ़ाई के साथ करें मौज मस्ती भी

मेलबर्न की यूनिवर्सिटीज का फोकस रिसर्च पर है, यहां स्टूडेंट्स और प्रोफेसरों को दुनिया का बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर और एकेडमिक संसाधन उपलब्ध है. इसके अलावा बीच स्पोट्ड्र्स और ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग जैसी सुविधाएं इन्हें और भी खास बना देती हैं.

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सोनाली आचार्जी
  • नई दिल्ली,
  • 13 मई 2015,
  • अपडेटेड 7:06 AM IST

बचपन में योगेश सप्तोका आइपीएल की टीम राजस्थान रॉयल्स के साथ काम करने के सपने देखा करते थे. फिर भी 24 साल के इस स्टूडेंट्स ने यह कभी सोचा ही नहीं था कि उसके सपने कभी पूरे हो सकते हैं. आज, सप्तोका उस 17 स्टूडेंट्स की टोली में शामिल हैं जो डीकिन यूनिवर्सिटी से इस सत्र में राजस्थान रॉयल्स के साथ काम करने के लिए चुने गए हैं. सप्तोका कहते हैं, "मेरी दिलचस्पी हमेशा से स्पोट्र्स मैनेजमेंट में रही है और मेरा लक्ष्य आइपीएल की मार्केटिंग और स्पांसरशिप से जुडऩे का रहा है. एमिटी यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद मैंने मेलबर्न की डीकिन यूनिवर्सिटी में स्पोट्र्स में एमबीए के कोर्स में एडमिशन लिया. शुक्र है कि यहां की फैकल्टी के प्रोत्साहन और मदद से आज मेरा सपना पूरा हो रहा है."

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इसी तरह, डीकिन यूनिवर्सिटी में पढ़ चुके 33 साल के ध्रुव मोहन ने पाया कि हायर एजुकेशन के लिए मेलबर्न में दाखिला लेने का उनका फैसला उनके करियर के लिए काफी मददगार साबित हुआ है. वे कहते हैं, 'मेलबर्न के बारे में लोगों के बीच जो धारणा है वह काफी गलत है. कई लोग इसे बस मौज-मस्ती और तफरीह करने का शहर ही मानते हैं. लेकिन सचाई यह है कि यहां एकेडमिक माहौल भी बहुत अच्छा है. यहां डीकिन यूनिवर्सिटी में स्पोट्र्स मैनेजमेंट को जो कोर्स है वह दुनिया का सर्वश्रेष्ठ स्पोट्र्स मैनेजमेंट कोर्स है.' वे यह भी कहते हैं, 'इस यूनिवर्सिटी से एमबीए करने के बाद मेरा आत्मविश्वास काफी बढ़ गया और मैं इंडस्ट्री की जरूरतों से पूरी तरह वाकिफ हो गया. मुझे मेलबर्न में ओकले क्रिकेट क्लब, गुडग़ांव में सेवन—रॉकर्स जैसे कुछ बड़े क्लबों और नई दिल्ली में इंडियाफिट स्पोट्र्स मैनेजमेंट में काम करने का मौका मिला. डीकिन यूनिवर्सिटी की पढ़ाई ने वाकई मेरी जिंदगी की दिशा बदलकर रख दी.'

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मेलबर्न में यूनिवर्सिटी की पढ़ाई के लिए दाखिला लेने वाले करीब 55 फीसदी स्टुडेंट विदेशी हैं. अकेले भारत से ही यहां करीब 4,000 स्टूडेंट्स हैं. डीकिन यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर और प्रेसिडेंट जेनडेन ओलांडर कहती हैं, 'हमें अपने मैनेजमेंट, इंजीनिरिंग और मेडिकल प्रोग्राम में भारत के स्टूडेंट्स की काफी दिलचस्पी दिखाई पड़ती है. मेरी राय में मेलबर्न में उनकी दिलचस्पी की एक वजह शहर का कॉस्मोपॉलिटन चरित्र भी है. आप इसे शब्दों में बयान तो नहीं कर सकते लेकिन मेलबर्न में ऐसा कुछ तो जरूर है जिससे आप यहां आकर एकदम घर जैसा सुरक्षित और सहज महसूस करने लगते हैं.'

जेनडेन यह भी बताती हैं, 'भारत से हमारा जुड़ाव 20 बरस पुराना है, जब हमने दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने के लिए ऑस्ट्रेलियन एसोसिएशन ऑफ प्रोफेशनल इंजीनियर्स, साइंटिस्ट्स ऐंड मैनेजर्स के साथ साझा उपक्रम शुरू किया था. इसके दो साल बाद भारत में अपना ऑफिस खोलने वाली हमारी यूनिवर्सिटी पहली थी. हमने उसी समय भारत में विकास की संभावना आंक ली थी.'

भारत से मेलबर्न का रिश्ता सिर्फ पढ़ाई के कोर्स तक ही सीमित नहीं है. डीकिन यूनिवर्सिटी और मेलबर्न यूनिवर्सिटी, दोनों ने भारतीय साझीदारों और वैज्ञानिकों के साथ रिसर्च प्रोजेक्ट में करीब 1 करोड़ डॉलर का निवेश किया है. डीकिन यूनिवर्सिटी में बिजनेस और लॉ फैकल्टी के प्रो-वाइस चांसलर माइक ईविंग कहते हैं, 'मेलबर्न की यूनिवर्सिटीज का फोकस रिसर्च पर है. यहां स्टूडेंट्स और प्रोफेसरों को दुनिया का बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर और अकादमिक संसाधन उपलब्ध है. हमारे स्पोट्र्स मैनेजमेंट प्रोग्राम में स्टूडेंट्स की इतनी दिलचस्पी होने की एक बड़ी वजह यह है कि हम इसमें भारी निवेश करते हैं ताकि स्टूडेंट्स को न सिर्फ पेशे से जुड़ी गतिविधियों की जानकारी मिल सके , बल्कि इस विषय में नई सोच-समझ और टेक्नोलॉजी में विकास से भी वे वाकिफ हो जाएं.'

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अकादमिक और इससे इतर गतिविधियों में संतुलन बनाने के लिए यूनिवर्सिटीज में स्टूडेंट्स को खाली समय के दौरान अपनी हॉबी और अन्य गतिविधियों में शामिल होने का मौका दिया जाता है. ध्रुव मोहन कहते हैं, 'आउटडोर खेल के शौकीनों के लिए तो मेलबर्न जन्नत ही है. मुझे पोलो, क्रिकेट, कई तरह के वॉटर स्पोट्र्स, टेनिस, और बास्केटबॉल में हाथ आजमाने का खूब मौका मिला. इसके अलावा आप दोस्तों के साथ कॉफी का मजा ले सकते हैं, स्टूडेंट्स पब में मजे कर सकते हैं या पड़ोस के बीच पर टहलने का आनंद उठा सकते हैं. यूनिवर्सिटी में रहने पर वक्त बिताने की कभी कमी महसूस नहीं होगी.'

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