
नोटबंदी पर सरकार को घेरने के लिए मंगलवार दोपहर को कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष की महत्वपूर्ण बैठक हुई और उसके बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई, जिसमें राहुल गांधी ने कहा कि नोटबंदी से ना काला धन खत्म हुआ ना भ्रष्टाचार. पीएम ने कहा था कि 30 दिसंबर तक सब ठीक हो जाएगा, लेकिन अभी तक स्थिति वैसी की वैसी ही हैं. पीएम को जवाब देना होगा. वहीं ममता ने कहा कि ये अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है. इस बैठक में कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी, जेडी(एस), जेएमएम, आईयूएमएल और एआईयूडीएफ समेत आठ विपक्षी पार्टियां शामिल हुईं.
ममता ने कहा कि पीएम ने 50 दिन मांगे थे. क्या अब वो इस्तीफा देंगे. देश में हालात ठीक नहीं हैं. इन चालीस दिनों में देश 20 साल पीछे चला गया है. जो काम आरबीआई को करना चाहिए था, वह भी आपने किया. आप किसी को खाने नहीं दे सकते और सब कुछ छीन लिया. बैंक में तो 6 हजार रुपया भी नहीं मिलता है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि कैशलेस के नाम पर मोदी सरकार बेसलेस हो गई है, टोटल फेसलेस हो गया है. ममता ने कहा कि ये इमरजेंसी नहीं सुपर इमरजेंसी है. संसद को बिना भरोसे लिए हुए फैसला लिया गया.
शीला जांच को तैयार पीएम क्यों नहीं?
राहुल ने कहा कि नोटबंदी असफल प्रयोग है. इससे देश को धक्का दिया गया है. पीएम की बातों में वजन होना चाहिए. राहुल ने एक बार फिर भ्रष्टाचार का मामला उठाते हुए कहा कि जैन डायरी केस में हमारे मंत्रियों ने इस्तीफा दिया था, सहारा डायरी मामले में ऐसा क्यों नहीं हुआ? पीएम जांच क्यों नहीं करवाते. डायरी में शीला दीक्षित का भी नाम होने पर राहुल ने कहा कि शीलाजी जांच को तैयार हैं. पीएम तैयार क्यों नहीं हैं? पीएम आरोपों पर क्यों नहीं बोलते?
इस बैठक के सिलसिले में बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सोमवार को ही दिल्ली पहुंच गई थीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हालात सामान्य करने के लिए जनता से 50 दिन का समय मांगा था और वह पचास दिन अब पूरे होने वाले हैं. इसे देखते हुए 27 दिसंबर यानी आज विपक्षी दलों ने एक होकर आगे की रणनीति पर विचार करने का फैसला किया था, लेकिन इस बार विपक्ष में वैसी एकजुटता नहीं दिख रही. 16 विपक्षी दलों की मीटिंग से पहले ही इसमें फूट की खबरें आ गईं.
ममता को बुलाने से जेडीयू नाराज
असल में कांग्रेस ने बैठक में शामिल होने के लिए बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जब बुलाया, तभी जेडीयू और वाम दलों ने साफ कर दिया कि वह इस बैठक में नजर नहीं आएंगे. कांग्रेस की ममता बनर्जी से बढ़ रही नजदीकियां वाम दलों को रास नहीं आ रही हैं, तो वहीं नीतीश कुमार को गद्दार कहने के लिए जेडीयू अभी तक ममता बनर्जी को माफ नहीं कर पाई है. बसपा और सपा का ध्यान सिर्फ चुनावों पर हैं तो कई अन्य दलों ने भी कुछ कांग्रेस नेताओं के नाम सहारा डायरीज में आने पर बैठक से कन्नी काट ली है. दूसरी तरफ कांग्रेस के बड़े नेता बैठक का बॉयकॉट करनेवाले विपक्षी दलों को मनाने में जुटे हैं. उनकी कोशिश है कि अगर विपक्ष के बड़े नेता खुद नहीं आते हैं तो वो कम से कम अपने प्रतिनिधि के तौर पर किसी नेता को बैठक में भेज दें ताकि नोटबंदी पर विपक्ष की एकता का दावा किया जा सके.