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ऐसा कहा जाता है कि भारत उन चुनिंदा प्राचीन सभ्यताओं (चीन और ग्रीस) में शुमार है, जिसने सबसे पहले मुद्रा का चलन आरंभ किया. जानिए कुछ और खास बातें...
2,600 साल पहले भारत में मुद्रा आरंभ हुई. छठी शताब्दी ईसापूर्व में इसके आरंभ होने की बात कही जाती है.
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रुपया शब्द संस्कृत से आया है. रुपा का अर्थ होता है 'आकार', रुपैया का अर्थ होता है 'चांदी, चांदी जैसा', रुपैयकम का अर्थ हुआ 'चांदी के सिक्के'.
रुपैया का जिक्र प्राचीन भारतीय साहित्य में भी है. चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु चाणक्य ने अपनी अर्थशास्त्र में इसका उल्लेख किया है.
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भारत के मध्यकालीन इतिहास में रुपए की वापसी 16वीं सदी में हुई. शेरशाह सूरी ने अपने शासनकाल (1540-1545) में चादी का सिक्का, जिसका वजन 178 कण था, रुपैया के नाम से बाजार में उतारा.
रुपैया आधुनिक काल में रुपया के नाम से प्रचलित है.
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मुगलकाल और फिर ब्रिटिश हुकूमत में इसका प्रयोग होता रहा. फिर यह 20वीं सदी में पहुंच गया.
फिर 1861 में 10 रुपए के नोट ने पहली बार बाजार में दस्तक दी.
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1864 में 20 रुपए का नोट आया, 1872 में 5 रुपए का नोट आया.
1900 में 100 रुपए का नोट आया और 1905 में 50 रुपए का नोट बाजार में आया.
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1907 में 500 रुपए और 1909 में 1,000 का नोट बाजार में आया.
1957 में देश में नए भारतीय रुपए बाजार में उतारे गए. एक रुपए का नया नोट ऐसा था-
इस बदलाव के पहले जहां पुराना भारतीय रुपया 16 आने के बराबर होता था, वहीं नया भारतीय रुपया अब 100 नए पैसे के बराबर कर दिया गया. 1964 में नया पैसा बदलकर पैसा हो गया.