
जम्मू कश्मीर में अलगाववादी नेताओं सैयद अली गिलानी, मीरवाइज उमर फारुख, मोहम्मद यासीन मलिक और शब्बीर शाह को नजरबंद कर दिया गया है. 13 जुलाई को इन नेताओं ने रैली का आयोजन किया था. लेकिन प्रशासन ने इससे एक दिन पहले रविवार को हिरासत में ले लिया.
कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए नेता नजरबंद: पुलिस
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इन अलगाववादी नेताओं को निगरानी में रखा गया है. अधिकारी ने कहा, 'राज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए इसे
एहतियाती कदम के रूप में देखा जा रहा है.'
25 साल में पहली बार शहादत दिवस पर नहीं होगी हड़ताल
शहादत दिवस पर हर साल राज्य में आधिकारिक छुट्टी होती है. अलगाववादी 1990 से शहादत की याद में आम हड़ताल करते रहे हैं. लेकिन अबकी बार 25
सालों में ऐसा पहली बार होगा जब इस दिन कोई हड़ताल नहीं होगी.
सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले हुर्रियत कान्फ्रेंस के दोनों धड़े और स्वतंत्रता समर्थक जेकेएलएफ अध्यक्ष मोहम्मद यासीन मलिक ने संयुक्त रूप से इस साल हड़ताल नहीं करने का फैसला किया है. रिकॉर्ड में तीनों समूहों ने कहा कि यह निर्णय रमजान के महीने के मद्देनजर किया गया है.
कट्टरपंथी और नरमपंथी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के प्रवक्ताओं अयाज अकबर और शाहिदुल इस्लाम ने कहा, 'यह फैसला संयुक्त रूप से नेतृत्व की ओर से रमजान के मद्देनजर किया गया है.'
गिलानी की इफ्तार पार्टी में कश्मीर मुद्दे पर अलगाववादियों का रुख दोहराते हुए यह प्रस्ताव पारित किया गया.
JK में क्यों मनाया जाता है शहादत दिवस
13 जुलाई, 1931 को श्रीनगर में सेंट्रल जेल के बाहर डोगरा सेना की ओर से की गई गोलीबारी में 21 प्रदर्शनकारी मारे गए थे. घाटी की मुख्यधारा की दोनों
राजनीतिक पार्टियां और अलगाववादी समूह इस बात का दावा करते हैं कि डोगरा शासन से कश्मीर की आजादी की पहली लड़ाई इसी दिन शुरू हुई थी.
एजेंसी से इनपुट