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आयकर विभाग के नोटिस को दिल्ली सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने सियासी रंग दे दिया है. जैन ने आयकर विभाग के नोटिस को बीजेपी की साजिश बताया है. उनके मुताबिक, उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है.
'आजतक' ने उन तीनों कंपनियों के पते तक पहुंचकर पड़ताल की, तो सच्चाई से परदा उठते देर नहीं लगी. कंपनियां अपने पते से गायब नज़र आईं, जिसके सवाल पर सत्येंद्र जैन ने कंपनियों के मौजूद होने का दावा किया है.
सत्येंद्र जैन ने दी सफाई
पूरे मामले में सफाई देते हुए सत्येंद्र जैन ने कहा, 'साल 2007 से 2012 तक की सभी रिटर्न है भरी है. कंपनियों में निवेश की जानकारी बाकायदा 2015 और 2013 के इलेक्शन कमीशन को दिए हलफनामे में भी दी गई है. मैंने जुलाई 2013 में तीनों कंपनी से इस्तीफा दे दिया था. उसके बाद मैंने न तो कोई नई इन्वेस्टमेंट की और न ही पुरानी इन्वेस्टमेंट को चेंज किया, क्योंकि एक्टिव पॉलिटिक्स में बिजनेस का मतलब नहीं है. मैंने सारे कागज मुख्यमंत्री को दिखाए थे.'
'रिटर्न में मैंने दिया एक-एक पैसा'
मंत्री सत्येंद्र जैन बार-बार ये दावा करते हैं कि आयकर विभाग के दफ्तर में उन्हें गवाह के तौर पर बुलाया गया है, ना कि आरोपी की तरह. जैन ने आगे कहा, 'मुझे जांच के लिए नहीं, बल्कि री-असिस्मेंट के लिए बुलाया है. 2007 से 2012 तक हर रिटर्न में मैंने एक-एक पैसा दिखाया है. कोई बेईमानी नहीं की और ना ही कोई गलत काम किया. जुलाई 2013 में मैंने तीनों कंपनियों से इस्तीफा दे दिया था.'
मंत्रियों के मौजूद होने का किया दावा
'आजतक' की पड़ताल पर जब सत्येंद्र जैन से सवाल पूछा गया, तो वह जैन कंपनियों के मौजूद होने का दावा करते नज़र आए. मंत्री ने कहा, 'मेरी जानकारी के मुताबिक कंपनी मौजूद है. हो सकता है कि एक्टिव बिजनेस न करती हो.' जाहिर है अरविंद केजरीवाल के समर्थन के बाद सत्येंद्र जैन खुलकर बयानबाज़ी कर रहे हैं, लेकिन आने मंत्री को क्लीन चिट देना सरकार के लिए मुसीबत बन सकता है, क्योंकि आयकर विभाग के सवालों की तलवार अब भी सत्येंद्र जैन पर लटक रही है.