
15 अगस्त पर हम आपको भोपाल की एक ऐसी मां के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बेटे ने 24 साल पहले 10 दिसंबर 1994 को आतंकियों से लड़ते हुए शहादत हासिल की थी. बेटे के शहीद होने के बाद इस मां ने हार नहीं मानी बल्कि अपने तरह से भारतीय सेना के लिए राशि जमा कर रही हैं.
कश्मीर में शहीद हो चुके बेटे की याद में भोपाल में रहने वाली उनकी मां मिट्टी के बर्तन और कलाकृतियों को बेच उससे मिलने वाली राशि को सेना निधि में जमा करवा रही हैं. ये हैं भोपाल के शाहपुरा में रहने वालीं निर्मला शर्मा.
1994 में शहीद हो गया था बेटा
निर्मला के बेटे देवाशीष भारतीय सेना में कैप्टन थे और 10 दिसंबर 1994 में सेना के एक ऑपरेशन के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गए थे.बेटे के शहीद होने के बाद निर्मला ने फैसला किया कि भले ही उनका बेटा इस दुनिया मे नहीं रहा, लेकिन वो उसकी याद को फौज से जोड़े रखना चाहती थीं और इसलिए उन्होंने मिट्टी के बर्तन और कलाकृतियों को बनाने की जो कला सीखी थी उससे अब आजीवन भारतीय सेना के झंडा निधि के लिए सौंप दी है.
निर्मला साल 2007 से बेटे की याद में मिट्टी के बर्तन बनाकर प्रदर्शनी लगाती हैं और उससे जो कमाई होती है उसे पूरा का पूरा सेना की झंडा निधि में डोनेट कर देती हैं. निर्मला के मुताबिक बेटे के शहीद होने के तुरंत बाद ही वो ये काम शुरू करना चाहती थीं क्योंकि उन्होंने मिट्टी के बर्तन और कलाकृतियों को बनाना सीखा था लेकिन 1994 में बेटे के शहीद होने के बाद उनके मन में सेना के लिए कुछ करने का ख्याल आया और 2006 में पति के निधन के बाद 2007 से निर्मला ने ये काम शुरू किया.
फिर से हो सर्जिकल स्ट्राइक
1994 में बेटा भले ही शहीद हो गया, लेकिन बेटे की शहादत के बाद भी निर्मला का हौसला नहीं डिगा और उन्होंने भारतीय सेना की तरफ से की गई सर्जिकल स्ट्राइक की ना सिर्फ तारीफ की बल्कि इच्छा जाहिर की है कि आगे भी इस तरह की सर्जिकल स्ट्राइक होती रहे ताकि देश की तरफ आंख उठा कर देखने वालों को करारा जवाब जरूर मिल सके.
निर्मला ने अभी तक भोपाल समेत देश के कई शहरों में प्रदर्शनी लगा कर उससे होने वाली कमाई को सेना झंडा निधि में दान कर दिया है. उनके मुताबिक उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व है और वो जब तक जिंदा हैं तब तक भारतीय सेना के लिए जितना हो सकेगा उतना करती रहेंगी.