
भारत और कई प्रभावशाली पश्चिमी देश 50 अरब डॉलर के एशियाई बुनियादी ढांचा निवेश बैंक (एआईआईबी) से संस्थापक सदस्यों के रूप में जुड़ गए हैं. एआईआईबी में कुल 57 देश शामिल हैं, वहीं अमेरिका और जापान ने चीन के नेतृत्व वाले इस बहुपक्षीय बैंक से दूरी बनाए रखी है.
प्रस्तावित बैंक के सदस्यों की अंतिम सूची बुधवार को जारी की गई. चीन के उप वित्त मंत्री शी याओबिन ने कहा कि संस्थापक सदस्यता आवेदन की समयसीमा खत्म हो गई है, लेकिन बैंक नए सदस्य स्वीकार करना जारी रखेगा क्योंकि एआईआईबी एक खुला और समावेशी बहुपक्षीय विकास बैंक है.
भारत उन पहले देशों में शामिल रहा, जिन्होंने चीन की पहल का समर्थन करते हुए बैंकों के पक्ष में हस्ताक्षर किए थे. यह विश्व बैंक , अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) जैसे अन्य वित्तीय संस्थानों को कड़ी प्रतिस्पर्धा दे सकता है.
ताइवान का आवेदन खारिज
शी ने कहा कि इस बैंक के 57 संभावित संस्थापक सदस्यों में एशिया, ओसियाना, यूरोप, लातिन अमरिका, अफ्रीका के देश हैं. एआईआईबी पहला एशियाई बैंक है, जहां नई बैंकिंग प्रणाली है जो अंतरराष्ट्रीय ब्रेटेनवूड्स प्रणाली के संस्थापक सदस्य देशों के प्रभुत्व से स्वतंत्र है.
जिन देशों ने एआईआईबी के संस्थापक सदस्यों को स्वीकार किया है, उनमें चीन, भारत , नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश, पाकिस्तान, मालदीव, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, आस्ट्रिया, ब्राजील, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड और स्पेन शामिल है.
बतौर संस्थापक सदस्य ताइवान का आवेदन खारिज कर दिया गया है. हालांकि चीन ने कहा है कि वह सदस्य के तौर पर ताइवान की पहचान के संबंध में सभी पक्षों से निर्माण संबंधी राय पर विचार करेगा. साथ ही कहा है कि व्यावहारिक परामर्श के जरिए उचित पहचान के साथ ताइवान के बैंक से जुड़ने का समाधान पा लिया जाएगा.
-इनपुट भाषा से