
बड़े-बुजुर्ग कह गए हैं कि आप अपने पड़ोसी नहीं चुन सकते, लेकिन उससे संबंध कैसे रखने हैं यह आपके हाथ में होता है. तो आखिरकार तमाम ना-नुकुर के बीच बुधवार को भारत और पाकिस्तान ने एक-दूसरे के लिए नए सिरे से दोस्ती का हाथ बढ़ा ही दिया. इस्लामाबाद में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने साफ कर दिया कि दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने के लिए समग्र वार्ता होगी, जिसकी रूपरेखा दोनों देशों के विदेश सचिव बनाएंगे.
नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के डेढ़ साल बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते भरोसे की जमीन पर खड़े होते दिख रहे हैं. हार्ट ऑफ एशिया कॉन्फ्रेंस में हिस्सेदारी करने के लिए विदेश मंत्री के पाकिस्तान दौरे के बीच जहां 26/11 के बाद बंद हो चुकी बातचीत का डेडलॉक खुल गया है, वहीं भारत-पाकिस्तान के बीच आतंकवाद के खिलाफ नई साझेदारी भी देखने को मिली है. सुषमा स्वराज की पाकिस्तान के वजीर-ए-आजम नवाज शरीफ और विदेश मंत्री सरताज अजीज से मुलाकात के बाद जारी साझा बयान में कहा गया कि दोनों मुल्क कश्मीर पर बातचीत को तैयार हैं तो पाकिस्तान ने मुंबई हमले की जांच में तेजी लाने का भरोसा जताया है.
गुरुवार को संसद में बयान देंगी सुषमा
भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस्लामाबाद में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में समग्र वार्ता को लेकर ऐलान किया. उन्होंने कहा, 'पहले हम इसे कंपोजिट डायलॉग के नाम से जानते थे, फिर इसे रिज्यूम डायलॉग कहा गया अब हमने इसे कॉम्प्रिहेन्शिव बाइलैटरल डायलॉग का नाम दे रहे हैं. मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान समग्र बातचीत के लिए तैयार हैं.'
सुषमा ने आगे कहा कि वह भारत में कहकर आई हैं कि गुरुवार को वह संसद में इस पर बयान देंगी, इसलिए उसकी मर्यादा का पालन करते हुए इस बारे में वह ज्यादा ज्यादा नहीं बोलेंगी. विदेश मंत्री के इस ऐलान के बाद एक साझा बयान भी जारी किया गया.
विदेश सचिव तय करेंगे रूपरेपा
साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सुषमा स्वराज ने बैंकॉक में दोनों देशों के एनएसए स्तर की वार्ता की सफलता का जिक्र करते हुए कहा, 'बैंकॉक में वार्ता की सफलता के बाद ही हमने समग्र वार्ता का निर्णय लिया है. दोनों देशों के विदेश सचिवों को इस ओर कार्यक्रम और रूपरेखा तय करने के लिए कहा गया है. इसमें कई और चीजों को भी जोड़ा जा सकता है.
सामान्य अर्थों में समझें तो समग्र बातचीत का मतलब जम्मू-कश्मीर, सियाचिन, आतंकवाद, नारकोटिक्स से लेकर सर क्रीक जैसे तमाम अहम मुद्दों को बातचीत में शामिल करने के तौर पर लिया जाता है. इसकी शुरुआत 1997 में की गई थी. अटल बिहारी वाजपेयी के शासन में इसे कंपोजिट डायलॉग का नाम दिया गया था.
वार्ता से भड़की शिवसेना, अकालियों ने किया स्वागत
दूसरी ओर, महाराष्ट्र की सत्ता में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना भारत-पाक वार्ता से भड़क गई है. शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा, 'जब तक पाकिस्तान हमारे देश में आतंकवाद खत्म नहीं करता, किसी भी तरह के बातचीत का कोई फायदा नहीं है. मुंबई में कसाब को हमने फांसी दे दी, लेकिन दूसरे आरोपी को पाकिस्तान ने बेल दे दी, जो खुलेआम घूम रहा है.'
हालांकि पंजाब में बीजेपी के सहयोगी अकाली दल ने इस बातचीत का स्वागत किया और उम्मीद जताई कि इससे दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधरेंगे.