
भारतीय विदेश मंत्रालय ने शनिवार को कई विदेशी राजदूतों को दिल्ली में अयोध्या फैसले की जानकारी दी. सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने शनिवार को फैसले में कहा कि विवादित भूमि मंदिर निर्माण के लिए दी जाएगी और मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन अलग से दी जाएगी.
'इंडिया टुडे' को इस बात की जानकारी देते हुए डिप्लोमेटिक कोर के डीन हैंस डेनबर्ग के मुताबिक, बैठक में भारत ने कहा कि यह (अयोध्या फैसला) उसका 'आंतरिक' मसला है लेकिन इस मुद्दे का ऐतिहासिक महत्व जरूर बताया जाना चाहिए. इस राजनयिक पहल के बारे में राजदूत कैस्टेलानोस ने कहा, 'हालांकि यह निश्चित रूप से भारत का एक आंतरिक मुद्दा है लेकिन विदेश मंत्रालय के इस कदम की काफी सराहना करते हैं, जिसमें इस निर्णय (अयोध्या पर फैसला) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से हमें अवगत कराया गया.'
बता दें, विदेश मंत्रालय ने शनिवार को दिल्ली में अलग-अलग देशों के राजदूतों को अयोध्या पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में विस्तृत जानकारी दी. अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में 40 दिनों तक लगातार चली सुनवाई के बाद शनिवार को ऐतिहासिक फैसला आया. फैसला विवादित जमीन पर रामलला के हक में सुनाया गया.
फैसले में कहा गया कि राम मंदिर विवादित स्थल पर बनेगा और मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में पांच एकड़ जमीन अलग से दी जाएगी. कोर्ट के मुताबिक, विवादित 2.77 एकड़ जमीन केंद्र सरकार के जिम्मे रहेगी. सरकार को मंदिर बनाने के लिए तीन महीने में एक ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया गया है.
डिप्लोमेटिक कोर के डीन ने कहा, हम भारतीय सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के ऐतिहासिक पहलू को पूरी तरह और बेहतर ढंग से समझ सकते हैं. इससे पहले पाकिस्तान के नेताओं ने अयोध्या फैसले की आलोचना की, जिस पर विदेश मंत्रालय ने करारा जवाब दिया. मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, हम एक सिविल मामले पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले पर पाकिस्तान की ओर से की गई अनुचित टिप्पणियों को अस्वीकार करते हैं जो भारत के लिए पूरी तरह से आंतरिक मसला है.
अयोध्या के दशकों पुराने विवाद में शनिवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना कर विवाद का निपटारा कर दिया. इसमें संविधान बेंच के 5 जजों ने सर्वसम्मति से अपना फैसला सुनाया.