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17 दिन की बेटी का चेहरा भी नहीं देख पाए गलवान में शहीद कुंदन

26 साल के कुंदन कुमार ओझा साहिबगंज जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के डिहारी गांव के रहने वाले थे. उनके दो भाई और एक बहन है. कुंदन ओझा की शादी दो साल पहले सुल्तानगंज में हुई थी. कुछ दिन पहले ही उन्हें बेटी हुई थी. कुंदन जल्द ही अपनी दूधमुंही बेटी से मिलने के लिए घर आने वाले थे.

गलवान घाटी में शहीद हुए झारखंड के लाल कुंदन ओझा (फाइल फोटो) गलवान घाटी में शहीद हुए झारखंड के लाल कुंदन ओझा (फाइल फोटो)
सत्यजीत कुमार
  • साहेबगंज,
  • 17 जून 2020,
  • अपडेटेड 12:42 PM IST

  • साहिबगंज के जवान कुंदन ओझा शहीद
  • 5 महीने पहले आए थे साहिबगंज
  • कुछ ही दिन पहले घर में पैदा हुई थी बेटी
लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिकों से दो-दो हाथ करते हुए शहीद होने वाले झारखंड के साहिबगंज के कुंदन ओझा अपने दोस्तों में काफी लोकप्रिय थे. 5 महीने पहले जब वे अपने घर आए थे तो दोस्तों से यह वादा करके गए थे कि शीघ्र ही फिर मिलेंगे. लेकिन वादा निभाने से पहले ही कुंदन दुश्मनों से लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हो गए.

इतना ही वे अपने 17 दिन की बेटी को भी अपनी आंखों से नहीं देख पाए. कुंदन गलवान में तैनात थे. रविवार को उनकी ड्यूटी गलवान घाटी में उसी जगह पर थी जहां चीनी सैनिकों से भारतीय सैनिकों की झड़प हुई.

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दूधमुंही बेटी को देखने घर आने वाले थे

26 साल के कुंदन कुमार ओझा साहिबगंज जिले के मुफस्सिल थाना क्षेत्र के डिहारी गांव के रहने वाले हैं. उनके दो भाई और एक बहन है. कुंदन ओझा की शादी दो साल पहले सुल्तानगंज में हुई थी. कुछ दिन पहले ही उन्हें बेटी हुई थी. कुंदन जल्द ही अपनी दूधमुंही बेटी से मिलने के लिए घर आने वाले थे. लेकिन यहां कुदरत को कुछ और ही मंजूर था. रविवार को कुंदन की ड्यूटी लद्दाख के गलवान घाटी में थी. यहां वे चीनी धोखेबाजी का शिकार हो गए. ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार 7 साल पहले उनकी बहाली आर्मी में हुई थी.

शहीद कुंदन की नवजात बच्ची (फोटो-आजतक)

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फोन से पिता को मिली दुखद खबर

कुंदन के शहादत की खबर उसके पिता को फोन से दी गयी है. खबर सुनकर पूरा परिवार सदमे में है. गांव वालों को अपने सपूत के इस बलिदान पर गर्व है. कुंदन के चचेरे भाई चीन से बदला लेने की मांग कर रहे हैं. वे चाहते हैं कि ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाए.

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उनकी वापसी का इंतजार अब उनकी नवजात बेटी को जीवन भर रहेगा, जिसे शायद पता भी नहीं कि उसके पिता अब कभी वापस नही लौटेंगे. वे अपनी मातृभूमि के लिए ऐसे सफर पर निकल गए हैं, जहां से लौटना नामुमिकन है.

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