
भारत और चीन के बीच मई के महीने से विवाद चल रहा है. इस विवाद की जड़ में एक सड़क है, जिसको लेकर चीन अड़ा हुआ है. लेकिन भारत भी मजबूती से अपने पक्ष को रख रहा है. लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पास दौलत बेग ओल्डी सड़क पर आजतक जा पहुंचा है, 18 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद इस इलाके को लेकर चीन, भारत से लगातार भिड़ रहा है.
18000 फीट की ऊंचाई पर दौलत बेग ओल्डी का इलाका देश की आखिरी चौकी माना जाता है. ये वो मोर्चा है जहां चीन नजरें गड़ाए बैठा है, इसके एक तरफ पाकिस्तान है तो दूसरी तरफ चीन है. एक वक्त था जब यहां परिंदा भी पर नहीं मार पाता था, मुश्किल मौसम, बेजान पहाड़ वीरान इलाके, इन रास्तों से आगे बढ़ना सेना के लिए बड़ी चुनौती होती थी लेकिन अब हालात बदल गए हैं.
दुरबुक से दौलतबेग ओल्डी तक, आजतक संवाददाता गौरव सावंत ने 255 किलोमीटर का मुश्किल सफर तय किया. दरअसल, दुरबुक से दौलतबेग ओल्डी तक सीमा सड़क संगठन 35 पुल बना रहा है, जिसके कारण चीन को मिर्ची लगी है और श्योक नदी पर बना पुल सबसे अहम है.
इन इलाकों में सड़क बनाना किसी युद्ध लड़ने से कम नहीं है. जहां अब से पहले तक आसानी से पहुंचने के लिए हवाई सेवा का ही इस्तेमाल हो रहा था. दौलत बेग ओल्डी का हवाई अड्डा यहां की लाइफ लाइन है. सेना अपने इस मोर्चे के लिए इस हवाई अड्डे पर बहुत हद तक निर्भर थी, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं और सड़क मार्ग को तैयार किया जा रहा है.
अब जमीन के रास्ते हर मौसम में दौलत बेग ओल्डी में पहुंचा जा सकता है, नदियों को पुल से पाट दिया गया है. पहाड़ काट डाले गए हैं और चीन को बता दिया गया है कि वो भारत की तरफ आंख उठाने की गलती ना करे.
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दरअसल, ये पूरा इलाका चीन के कब्जे वाले इलाके को दूसरे छोर से जोड़ता है. यही कारण है कि चीन चाहता है कि उसका वन रोड वन बेल्ट का प्रोजेक्ट पूरा हो जाए और कामयाब हो सके. लेकिन भारतीय जवान सीमा पर पूरी तरह से डटे हुए हैं.