
सन् 1962 में चीन ने भारत पर जोरदार हमला कर दिया था. धोखे के हमले से हमारी फौजों को करारी हार का सामना करना पड़ा था. हमारे राष्ट्रीय और सैनिक मनोबल पर इसका गहरा असर पड़ा था.
इसके अगले साल सन् 1964 में पंडित नेहरू का देहान्त हो गया. पाकिस्तान ने सोचा कि भारत का सुरक्षा तंत्र चरमरा गया है. उसने इसका पूरा फायदा उठाकर कश्मीर को हड़पने का दांव चला. इसका अंजाम था 1965 का भारत-पाकिस्तान युद्ध.
युद्ध में भारत के पास मात्र 608 टैंक थे वहीं पाकिस्तान के पास 756 टैंक थे जिनमें से 352 टैंक उस समय की आधुनिकतम् तकनीकि से लैस थे. इस तरह के टैंक भारत के पास भी थे लेकिन संख्या में काफी कम. भारत के पास 182 सेन्चुरियन टैंक थे. इस तरह टैंको में पाकिस्तान का पलड़ा काफी भारी था. भारत के पास तोपें तो संख्या में ज्यादा थी लेकिन शक्ति में कम. यही हाल भारतीय वायुसेना का भी था.
लेकिन उस समय जनरल हरबक्श सिंह की रणनीति और दृढ़ विश्वास के बल पर हमारी सेना ने पाकिस्तान को धूल चटाकर और पाक के नापाक मंसूबों को मिट्टी में मिला दिया था.