
संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के बाद दुनियाभर में मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने वाले कार्यक्रम की अगुवाई करने वालों में डॉ. एच. आर. नागेंद्र का नाम शामिल है. योग के माध्यम से सेहत में प्रमाणिक सुधार के लिए शोध में समर्पित डॉ. नागेंद्र वैश्विक मानक बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि दुनियाभर के योग एक्सपर्ट अपनी अलग-अलग विशेषताओं के साथ एक मंच पर आ रहे हैं. बेंगलूरु स्थित स्वामी विवेकानंद योग अनसुंधान संस्थान (एस-व्यासा) के संस्थापक और पीएम नरेंद्र मोदी के योग गुरु रह चुके और डॉ. एच. आर. नागेंद्र से हाल ही में हुई बातचीत के मुख्य अंश-
हम योग की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिशा में सकारात्मक कदम बढ़ाए हैं. आप इस विषय के पायनियर माने जाते हैं. अगले पांच सालों में योग के विकास को लेकर
क्या रोडमैप है?
जवाब- योग प्राचीन ज्ञान है. देश और दुनिया में कई विशेषज्ञ अपने-अपने तरीके से योग का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. स्वामी रामदेव, श्रीश्री रविशंकर और जग्गी वासुदेव जैसे कई बड़े नाम हमारे बीच हैं. इन सबसे थोड़े से अंतर के साथ हमारा काम योग को साइंटिफिक आधार पर आगे बढ़ाने से जुड़ा है. बीते 30-40 सालों में हमने दुनियाभर के विभिन्न जर्नल्स में इस विषय में 500 से अधिक इनडेप्थ रिसर्च पेपर्स प्रकाशित किए हैं.
विभिन्न रोगों के सबसे बड़े रिसर्चर और डॉक्टर हमारे बीच आए. हाल ही में बेंगलुरु में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का पीएम मोदी ने उद्घाटन किया था. इसमें कैंसर, डायबिटीज, मेंटल हेल्थ, हायपरटेंशन, कार्डियोलॉजी वगैरह के सबसे बड़े जानकार डॉक्टर्स शामिल हुए थे. इन सबके साथ हम योग के माध्यम से एविडेंस बेस्ड डिलिवरी सिस्टम बनाने की कोशिश कर रहे हैं. हमने इस दौरान कई रिसर्च डिजाइन किए हैं. इसे वैश्विक मान्यता मिल रही है.
इसके साथ ही हम योग के लाभ को कॉस्ट एफेक्टिव बनाने की कोशिश भी कर रहे हैं. क्योंकि हमारा देश गांवों का देश है. विकसित देशों में कॉस्ट ज्यादा होता है. वहां सबका मेडिकल इंश्योरेंस होता है. सरकार हेल्थ मैनेजर बहाल करती है, जिनके साथ काबिल डॉक्टर्स की एक टीम होती है. उन सबके बीच भी आयुर्वेद और योग का तेजी से प्रसार हुआ है. अमेरिका में हमने दो बिलियन डॉलर की मेडिकल सेवा 1.25 बिलियन डॉलर में मुहैया करवाने में कामयाबी पाई है.
आपकी कोशिशों को वैज्ञानिक आधार पर कितनी मान्यता मिल पाई है? क्या एलोपैथिक दवाइयों की तरह इसके लाभ प्रत्यक्ष दिखते हैं?
जवाब – बिल्कुल, योग थैरेपी पर हमारे सहयोगी डॉ. नागरत्ना 40 साल से इसीलिए काम कर रहे हैं. 250 बेड वाले हमारे आरोग्यधाम में लगातार इलाज चल रहे हैं. विभिन्न असाध्य बीमारियों के मरीज यहां आकर स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं. हर शुक्रवार को यहां एडमिशन होता है. एक सप्ताह तक मेडिटेशन के जरिए कई तरह के रोगों का शमन किया जाता है. लोगों को लाभ मिले हैं. अब तक 2 लाख 20 हजार से अधिक मरीजों का यहां सफलतापूर्वक इलाज किया जा चुका है.
हमारे प्रशांति कुटीरम को दुनिया के लिए योग थैरेपी का मॉडल बनाने की दिशा में काम चल रहा है. जल्द ही हम इसे 1400 बेड का अस्पताल बनाने वाले हैं. दो साल में लक्ष्मी अम्मा मेडिकल अस्पताल भी काम करने लगेगा. यूनानी, आयुर्वेद, होम्योपैथ, योग आदि पद्धतियों के लिए काम कर ही आयुष मंत्रालय की देखरेख में हम दवामुक्त भारत की ओर बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं.
देश और दुनिया के दूसरे हिस्सों, जैसे कम आगे बढ़ सके इलाकों में भी इसका लाभ पहुंचना चाहिए. आपके पास इसकी कोई व्यवस्था है?
जवाब- हम चाहते हैं कि देश में अधिक से अधिक लोग योग थैरेपी का लाभ उठाएं. हर जगह कोई नहीं पहुंच सकता. इसलिए स्थानीय लोगों को ही प्रशिक्षित कर वहां सुविधाए पहुंचाने की कोशिश कर रहे है. कैंसर के 600 मरीजों पर योग थैरेपी का अनुकुल असर हुआ है. इसके बाद अमेरिका के कई शहर में भारतीय लोग इससे आकर्षित हुए. 35 देशों में हमारे ट्रेनिंग सेंटर चल रहे हैं. डिस्टेंस एजुकेशन के जरिए 1800 से अधिक लोग यहां से जुड़े हैं. 150 से अधिक पीएचडी हो रही है और 700 एमए छात्र यहां अध्ययनरत हैं.
सांस्थानिक तौर पर योग को लेकर कैसी प्रतिक्रियाएं मिल रही है?
जवाब- भारत में मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने मंत्रालय, यूजीसी और नैक के अधिकारियों के साथ सेंट्रल यूनिवर्सिटी के 15 वाइस चांसलरों के साथ बैठक कर हर यूनिवर्सिटी में योग का अलग डिपार्टमेंट खोलने की बात कही है. इसको लेकर एक एक्सपर्ट कमिटी बनाई गई है. योग को लेकर सकारात्मक माहौल बन रहा है. पूरी दुनिया में इंटरनेशनल डे ऑफ योगा मनाया गया. कई देशों में इसे एजुकेशन सिस्टम में शामिल करने की बात हो रही है.
अपने देश में मेडिकल टूरिज्म की चर्चा होती है. इसको लेकर योग की क्या भूमिका है?
जवाब- संयुक्त राष्ट्र के योग दिवस मनाए जाने के बाद भारत में योग की वजह से दुनिया के देशों का आकर्षण बढ़ा है. संस्कृति और पर्यटन राज्य मंत्री डॉ. महेश शर्मा, आचार्य बालकृष्ण और मैं इस विषय पर एक बैठक कर चुके हैं. मुझे योग दिवस के कार्यक्रमों की जिम्मेदारी भी दी गई है.
योग के प्रसार में किस तरह की चुनौतियां हैं? सरकार पर धर्म-संप्रदाय को लेकर सवाल उठते हैं. मीडिया का एक वर्ग भी इसकी आलोचना में है.
जवाब- यूएन के प्रस्ताव के बाद लगभग 200 देशों ने इसे समारोहपूर्वक मनाया. इसमें 50 से अधिक मुस्लिम देश भी शामिल हैं. फिलहाल ऐसी कोई चुनौती नहीं है. अपनी-अपनी विशेषताओं के साथ सब आ रहे हैं. इस साल होने वाला योग दिवस और अधिक भव्यता से मनाया जाएगा. हमने SOP बनाया है. धर्म को लेकर इससे जुड़े सवालों की बात नहीं है. हम कॉमन प्रोटोकॉल, यूनिफॉर्म और प्रोग्राम के तहत चलते हैं. पहले साल 30 मिनट का कार्यक्रम था. इस बार हम इसे 25 मिनट का करने वाले हैं. इससे दुनियाभर में एकरूपता बनेगी.
सबको साथ लेकर आने की चुनौतियां दूर हो चुकी हैं. योगगुरु जग्गी वासुदेव के मेडिटेशन, श्रीश्री रविशंकर की सुदर्शन क्रिया और स्वामी रामदेव का कपालभाति प्राणायाम सब हमारी विशेषताएं हैं. योग को लेकर सब एक मंच पर साथ खड़े मिलते हैं.
देश में ऐसी कोई संस्था जो सर्टिफाइड करे और उसकी बातें मानना बाध्यकारी हो. यानी कोई मानक तय करने वाली अधिकृत संस्था है क्या?
जवाब- केंद्र सरकार में नया बना आयुष मंत्रालय इसकी देखरेख कर रहा है. योग शिक्षकों के लिए खास सिलेबस है. थैरेपी और स्किल की जांच के लिए परीक्षा होती है. हम चारों मानकों पर प्रैक्टिस की भी जांच करते हैं. बीते साल 12 लोगों को ही सर्टिफाइड किया जा सका था. यह गिनती अबतक 80 पहुंची है. यह बहुत उच्च मानक था. हम इसे थोड़ा लचीला बनाएंगे. देश में लाखों लोग योग शिक्षक बनना चाहते हैं. हम सबको साथ लेकर ट्रेंड करेंगे. गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इसके लिए बेहतर संकेत भी दिए हैं.
विदेशों में योग को लेकर कैसा दृष्टिकोण है? इन विषयों पर वह कैसे सोचते हैं?
जवाब- पहले योग का मतलब सिर्फ आसनों को समझा जाता रहा. अब आम लोग भी इसकी विशेषताएं और जरूरत को समझने लगे हैं. अमेरिका के लॉस एंजलिस शहर में 50 एकड़ जमीन पर विवेकानंद योग यूनिवर्सिटी खुलने वाला है. विभिन्न देशों में अनेकों संस्थाएं योग का प्रचार-प्रसार कर रही हैं. सबका स्वागत हो रहा है. चीन के शंघाई स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी में दो साल से एक अनोखा रिसर्च चल रहा है. वहां के एक छात्र योग और तैचई (चीनी व्यायाम) का तुलनात्मक स्टडी कर रहा है. उसने स्थापना दी है कि इसके अभ्यास से ब्रेन की क्षमता कई गुणा बढ़ती है. योग ब्रेन के दांए और तैचई बांए हिस्से को तेज करता है.