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कुलभूषण जाधव को मौत की सजा सुनाए जाने को लेकर भारत के साथ रिश्तों में आई तल्खी के बीच पाकिस्तान ने कहा कि 46 वर्षीय जाधव को ऐसे विश्वसनीय और स्पष्ट साक्ष्य के आधार पर मौत की सजा को सुनाई गई है, जिससे जासूसी एवं विध्वंसक गतिविधियों में उसकी संलिप्तता साबित होती है. इसके साथ ही उसने कहा कि 40 दिनों के अंदर जाधव की सजा के खिलाफ अपील की जा सकती है.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा, मैं भारत से पूछना चाहता हूं कि कुलभूषण जाधव खुद को मुसलमान बताते हुए फर्जी पहचान पत्र का इस्तेमाल क्यों कर रहा था? कोई बेकसूर आदमी दो पासपोर्ट क्यों रखेगा, जिसमें एक हिंदू नाम हो और दूसरा मुस्लिम नाम हो? उन्होंने सवालिया अंजाद में कहा, नौसेना का कमांडर बलूचिस्तान में क्या कर रहा था, इस बारे में भारत के पास कोई विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं है. ऐसे में उसने दुष्प्रचार अभियान शुरू कर दिया है.
अजीज बोले- हालात को गंभीर बना रहा है भारत
अजीज ने एक विस्तृत बयान में कहा कि भारत अपनी प्रतिक्रिया के जरिये हालात को और गंभीर बना रहा है. उन्होंने कहा, पूर्वनियोजित हत्या और बलूचिस्तान में अशांति जैसे भड़काऊ बयानबाजी से सिर्फ तनाव बढ़ेगा और इससे कोई मकसद पूरा नहीं होगा. विदेश मामलों के सलाहकार ने कहा, हम आशा करते हैं कि भारत जिम्मेदारी के साथ व्यवहार करेगा और ऐसे बयान जारी करने से बचेगा, जिनसे लोगों के बीच दुश्मनी बढ़े. भारत-पाकिस्तान संबंधों में बढ़ता संकट और अधिक गंभीर हो जाए, उससे पहले इसके समाधान के लिए और अधिक सक्रिय कूटनीति की जरूरत है.
पाक ने रखा सुनवाई का पूरा ब्यौरा
वहीं पक्षपातपूर्ण सुनवाई से जुड़े भारत के आरोपों को खारिज करते हुए अजीज ने कहा कि पुलिस की आतंकवाद विरोधी शाखा ने बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में 8 अप्रैल, 2016 को FIR दर्ज की थी. जाधव को कानूनी सहायता भी प्रदान की गई. अजीज ने कहा, सजा उस विश्वसनीय और स्पष्ट साक्ष्य के आधार पर सुनाई गई है जिससे जासूसी एवं विध्वंसक गतिविधियों में उसकी संलिप्तता साबित होती है.
अजीज ने सुनवाई का ब्यौरा देते हुए कहा कि 8 अप्रैल, 2016 को FIR दर्ज किए जाने के बाद जाधव का इकबालिया बयान रिकॉर्ड किया गया. उसके बाद 2 मई को शुरुआती पूछताछ की गई और 22 मई को विस्तृत पूछताछ हुई. फिर 12 जुलाई को इस मामले में संयुक्त जांच दल का गठन किया गया. पाकिस्तान की दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत 22 जुलाई को इकबालिया बयान दर्ज किया गया और 24 सितंबर को सबूत रिकॉर्ड किए गए.
सैन्य कोर्ट की सजा के खिलाफ अपील के लिए 40 दिन का वक्त
वहीं मामले की एकतरफा सुनवाई के भारत के आरोपों पर अजीज ने कहा कि जाधव को अपना बचाव करने के लिए एक योग्य वकील मुहैया कराया गया था. उन्होंने कहा कि जाधव 40 दिनों के भीतर सैन्य न्यायाधिकरण के फैसले के खिलाफ सैन्य अपीली अदालत में अपील कर सकता है. वह सेना प्रमुख के समक्ष अपीली अदालत के फैसले के खिलाफ 60 दिनों में अपील दायर कर सकता है. अजीज ने कहा कि जाधव याचिकाएं खारिज होने की स्थिति में 90 दिनों के भीतर पाकिस्तान के राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका भी दे सकता है.