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नेपाल में सरकार के खिलाफ काठमांडू में सड़क पर उतरे लोग

प्रदीप ग्यावली ने कहा था कि हम अपनी जमीन को वापस नक्शे में शामिल कर एक मिसाल कायम करने जा रहे हैं. सभी राजनीतिक दलों ने भी इसका समर्थन कर एकजुटता दिखाई है. इसलिए आम लोगों को भी सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि सरकार का साथ देते हुए नक्शा पास होने की खुशी में प्रदर्शन करना चाहिए.

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (फाइल फोटो-Getty Images) नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली (फाइल फोटो-Getty Images)
सुजीत झा
  • पटना,
  • 13 जून 2020,
  • अपडेटेड 11:13 PM IST

  • नेपाल में सरकार के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन
  • नेपाल सरकार की शांति बनाए रखने की अपील

नेपाल में नए नक्‍शे के प्रस्‍ताव पर शनिवार को नेपाली संसद में वोटिंग हुई. इस नक्शे में भारत के कई हिस्सों को भी शामिल कर लिया गया है. 13 जून को नेपाल की संसद पास हुए इस प्रस्ताव में नेपाल ने भारत के कब्जे वाले तीन इलाकों कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपना हिस्सा बताया है. ये तीनों इलाके भारत के उत्तराखंड में स्थित हैं. नेपाल कैबिनेट की बैठक में भूमि संसाधन मंत्रालय ने नेपाल का यह संशोधित नक्शा जारी किया था.

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वहीं दूसरी ओर शनिवार सुबह से ही काठमांडू की सड़कों पर नेपाल सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा था. इससे पहले शुक्रवार को भी कई प्रदर्शनकारी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर गए थे. जिसके बाद नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने शुक्रवार रात मीडिया के माध्यम से लोगों से प्रदर्शन रोकने की अपील की थी.

नेपाल के विदेश मंत्री ने कहा था कि शनिवार को देश की संसद द्वारा एक ऐतिहासिक बिल पर फैसला लिया जाएगा. ‌उन्होंने इसलिए प्रदर्शनकारियों से अपील की थी कि वो किसी भी प्रकार के सरकार विरोधी प्रदर्शन में हिस्सा ना लें. इससे गलत संदेश जाएगा.

प्रदीप ग्यावली ने कहा था कि हम अपनी जमीन को वापस नक्शे में शामिल कर एक मिसाल कायम करने जा रहे हैं. सभी राजनीतिक दलों ने भी इसका समर्थन कर एकजुटता दिखाई है. इसलिए आम लोगों को भी सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि सरकार का साथ देते हुए नक्शा पास होने की खुशी में प्रदर्शन करना चाहिए. इसके बावजूद काठमांडू में शनिवार सुबह से सरकार विरोधी प्रदर्शन करने के लिए लोग सड़कों पर उतरे. पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों की धरपकड़ भी की गई.

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लिपुलेख मामला: नेपाल के विदेश मंत्री बोले- भारत से बातचीत ही एकमात्र उपाय

नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ग्यावली ने नक्शा बदले जाने को लेकर कहा था कि हम लोगों के मन में यह विचार तब आया जब भारत ने 2 नवंबर 2019 को जम्मू-कश्मीर को पुनर्व्यस्थित करते हुए नक्शे में बदलाव किया था. हमने सीमा विवाद को लेकर नई दिल्ली से कई बार बात करने की कोशिश की थी, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं आया. जिसके बाद सभी दलों ने मिलकर नक्शे में बदलाव करने पर जोर दिया. अब इसमें बदलाव नहीं हो सकता.

इससे पहले बुधवार को नेपाल की निचली संसद प्रतिनिधि सभा ने देश के नए और विवादित नक्शे को लेकर पेश किए गए संविधान संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित किया था. नेपाली संसद में इस नए मानचित्र पर शनिवार को मतदान होना है. भारत के साथ सीमा गतिरोध के बीच इस नए नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को नेपाल ने अपने क्षेत्र में दिखाया है.

क्या है मामला?

दरअसल, नेपाल सरकार ने नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था, जिसमें भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को भी शामिल किया गया है. नेपाल कैबिनेट की बैठक में भूमि संसाधन मंत्रालय ने नेपाल का यह संशोधित नक्शा जारी किया था. इसका बैठक में मौजूद कैबिनेट सदस्यों ने समर्थन किया था.

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बता दें कि 8 मई को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड के लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर के लिए सड़क का उद्घाटन किया था. इसको लेकर नेपाल ने कड़ी आपत्ति जताई थी. इसके बाद नेपाल ने नया राजनीतिक नक्शा जारी करने का फैसला किया था और इसमें भारत के क्षेत्रों को भी अपना बताकर दिखाया है.

(इस खबर का फोटो बदला गया है और खबर के घटनाक्रम को अपडेट किया गया है)

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