
मोदी सरकार ने यह सख्त रुख अपनाया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का निर्यात बंद नहीं करता, उसके साथ कोई बातचीत नहीं हो सकती. लेकिन अब ऐसा लगता है कि पाकिस्तान के साथ ट्रैक 2 डिप्लोमेसी ‘नीमराणा संवाद’ यानी नागरिकों, बुद्धिजीवियों की संवाद प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की कोशिश की जा रही है.
इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए पूर्व विदेश सचिव विवेक काटजू, प्रख्यात शिक्षाविद जे.एस. राजपूत समेत कई विशेषज्ञ पाकिस्तान गए थे. जानकारों के मुताबिक दोनों मुल्कों के अधिकारियों, नेताओं के बीच अनौपचारिक मुलाक़ातें असल में कूटनीति का हिस्सा होती हैं और इन अनौपचारिक बैठकों को ट्रैक टू डिप्लोमेसी कहते हैं. पाकिस्तानी पक्ष का नेतृत्व पूर्व विदेश सचिव इनामुल हक ने किया. सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच इस्लामाबाद में 28 से 30 अप्रैल के बीच बातचीत हुई.
गुजरात चुनाव के पहले कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर पर यह आरोप लगा था कि वह ट्रैक 2 डिप्लोमेसी के तहत ही पाकिस्तान के अधिकारियों से बातचीत कर रहे थे. कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के घर पाकिस्तान के कुछ अधिकारी और भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति और पूर्व प्रधानमंत्री के बीच हुई मुलाक़ात ने काफी सुर्खियां बटोरीं थीं. इसकी पीएम मोदी ने काफी आलोचना की थी.
इस तरह की कूटनीति में सांस्कृतिक मुलाक़ातें, कार्यक्रम, पत्रकारों की बातचीत, पूर्व मंत्रियों या अधिकारियों की बातचीत आदि शामिल होती है. कई मौकों पर ये मुलाक़ातें औपचारिक नहीं होतीं यानी गोपनीय होती हैं.
ट्रैक 2 डिप्लोमेसी के तहत सबसे पहले राजस्थान के नीमराणा में संवाद आयोजित किया गया था. लेकिन अब इस डिप्लोमेसी को फिर से आगे बढ़ाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. अखबार के अनुसार, इस बारे में बातचीत करने के लिए एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल 28 से 30 अप्रैल को पाकिस्तान गया था, जिसमें विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव विवेक काटजू, NCERT के पूर्व प्रमुख जे.एस. राजपूत जैसे दिग्गज शामिल थे.
पाकिस्तान की तरफ से इस बातचीत में वहां के पूर्व विदेश सचिव इनाम उल हक और इशरत हुसैन जैसे लोग शामिल थे. अन्य प्रयासों की तरह ही नीमराणा संवाद भी एक गैर सरकारी संवाद का प्रयास है.
गौरतलब है कि जे.एस. राजपूत एनडीए की वाजपेयी सरकार के दौरान NCERT प्रमुख थे. हालांकि जानकार यह मानते हैं कि पाकिस्तान के साथ किसी तरह के औपचारिक बातचीत से पहले भारत वहां होने वाले चुनाव के नतीजे का इंतजार करेगा, जिसके बाद नई सरकार बननी है. पाकिस्तान में जुलाई महीने में चुनाव होने वाले हैं.
पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त टीसीए राघवन ने अखबार से कहा, 'इसके पहले भी कई ट्रैक 2 पहल हुई हैं, लेकिन ज्यादातर तीसरे पक्षों की आर्थिक सहायता से चलाई गई हैं.'
नीमराणा संवाद से जुड़े रहे पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल इस बार बातचीत के लिए पाकिस्तान नहीं गए. हालांकि उन्होंने इसे एक महत्वपूर्ण पहल बताया है. नीमराणा संवाद पहली बार 1991-92 में आयोजित किया गया था.
हालांकि, भारत सरकार ऐसा कोई संकेत नहीं देना चाहती कि वह पाकिस्तान से किसी तरह से भी नरमी बरत रही है, भले ही यह लोगों से लोगों का संपर्क क्यों न हो. पिछले साल कराची लिटरेचर फेस्टिवल में 4 भारतीय लेखकों को सरकारी खर्च पर भेजने पर सरकार को काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था.
साल 2016 में पाकिस्तान के संगठनों द्वारा किये गये आतंकी हमलों और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारत के लक्षित हमलों के बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में तनाव पैदा हो गया था. दोनों पक्ष अक्सर एक दूसरे पर नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम उल्लंघन का आरोप लगाते हैं. हाल ही में भारत ने कहा था कि वह शंघाई सहयोग संगठन की रूपरेखा के तहत रूस में कई देशों के आतंकवाद निरोधक अभ्यास में पाकिस्तान के साथ भाग लेगा.