
भारत के अगले दस सालों में दुनिया में सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्था बनने की संभावना है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (सीआईडी) के अनुसंधानकर्ताओं के नए वृद्धि संबंधी अनुमानों में यह बात सामने आई है.
चीन से काफी आगे रहेगा भारत
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (सीआईडी) के ताजा अनुमानों के मुताबिक भारत सालाना सात फीसदी की वृद्धि दर हासिल करेगा और अगले दस सालों तक इसके विश्व की सबसे तेज वृद्धि दर्ज करने वाली अर्थव्यवस्था बने रहने की भी संभावना है. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह भारत के उत्तरी पड़ोसी और आर्थिक प्रतिद्वंद्वी चीन से काफी अधिक है, जिसके बारे में 2024 तक नरमी बरकरार रहने के बीच 4.3 फीसदी सालाना वृद्धि रहने का अनुमान है.
ऐतिहासिक तौर पर आय बढ़ी
दक्षिण एशिया और पूर्वी अफ्रीका में तेज वृद्धि का अनुमान है क्योंकि पेट्रोलियम अर्थव्यवस्थाओं और अन्य जिंस केंद्रित अर्थव्यवस्थाओं के सामने धीमी वृद्धि का परिदृश्य है. सीआईडी के निदेशक और हार्वर्ड केनेडी स्कूल के प्रोफेसर रिकार्डो हॉसमैन ने कहा कि भारत की उत्पादक क्षमता में उल्लेखनीय तेजी आई है, जिससे इसे फार्मा, वाहन और इलेक्ट्रॉनिक्स समेत ज्यादा जटिल उत्पादों के निर्यात में गुंजाइश मिली है. हॉसमैन ने कहा कि इन आर्थिक जटिलताओं में गुंजाइश से ऐतिहासिक तौर पर आय बढ़ी है.
GDP ग्रोथ रेट 7-7.5 फीसदी
गौरतलब है कि हाल ही में सरकार ने संसद में आर्थिक छमाही समीक्षा पेश करते हुए बताया कि वित्त वर्ष 2015-16 में देश की GDP ग्रोथ रेट 7-7.5 फीसदी रहने का अनुमान है. इसके साथ ही सरकार ने वित्तीय घाटे के 3.9 फीसदी के लक्ष्य को भी हासिल करने का भरोसा जताया है.
रिटेल महंगाई दर 6 फीसदी
इस आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्ष 2016 में रिटेल महंगाई दर 6 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है. इसके साथ ही सरकार वित्त वर्ष 2016 में 2.8 फीसदी के राजस्व घाटे के लक्ष्य पर कायम है. सरकार ने मिड ईयर इकोनॉमिक सर्वे यानी इकोनॉमी की छमाही समीक्षा पेश करते हुए यह जानकारी दी.
वित्तीय घाटा 3.9 फीसदी
वहीं वित्तीय घाटे के लिए सरकार का अनुमान है कि यह 3.9 फीसदी के लक्ष्य का हासिल करेगा. सरकार का कहना है कि साल 2017 में देश का निर्यात बढ़ेगा. हालांकि निजी क्षेत्र का निवेश कम हुआ है लेकिन फिर भी सरकारी निवेश बढ़ा है. इसके अलावा सरकार ने यह भी कहा है कि ब्याज दर घटाने के लिए इस समय माहौल सही है.