
लगातार सियासी गहमागहमी के बीच जम्मू-कश्मीर में PDP-BJP की सरकार के 2 महीने पूरे हो रहे हैं. इस बीच पाकिस्तान ने कश्मीरी पंडितों का मुद्दा उठाते हुए उन्हें अलग बसाए जाने की कोशिशों पर विरोध जताया है.
पाकिस्तान का कहना है कि कश्मीरी पंडितों को अलग बसाया जाना संयुक्त राष्ट्र के कानून का उल्लंघन है. भारत ने पाकिस्तान की टिप्पणी पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा है कि वह भारत के अंदरूनी मामले में दखल न दे.
भारत ने पाकिस्तान के रुख को किया खारिज
भारत ने सीधे तौर पर पाकिस्तान के उस रुख को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए कश्मीर घाटी में कोई भी समर्पित टाउनशिप बसाने से राज्य के जनांकिकीय ढांचे में बदलाव आएगा और यह संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का उल्लंघन होगा.
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कश्मीरी पंडितों के साथ मुस्लिम और सिख जम्मू-कश्मीर का अभिन्न हिस्सा हैं. उन्होंने कहा, 'कश्मीरी पंडित, मुस्लिम और सिख जम्मू-कश्मीर की जनसांख्यिकी का अभिन्न हिस्सा हैं.'
अरुण जेटली ने संसद भवन के बाहर संवाददाताओं से कहा, 'यह स्वाभाविक है कि जब हम उनके पुनर्वास की कल्पना करते हैं, तो हर राजनीतिक दल देखना चाहेगा कि जो भी वहां से उजाड़ दिए गए, उन्हें वापस आना चाहिए.'
उन्होंने कहा, 'इसमें सभी धर्मों के लोग शामिल होंगे, लेकिन यह स्वाभाविक है कि कश्मीरी पंडित बड़ी संख्या में होंगे.'
पाकिस्तान के विदेश कार्यालय की प्रवक्ता तसनीम असलम ने इससे पहले कहा था कि कश्मीर घाटी में बाहरी लोगों को बसाकर भारत जनसंख्या की संरचना को बदल नहीं सकता है.