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Conclave16: रेहम बोलीं- भारत हो या PAK हम अपने घरों की असलियत के आगे चुप हैं

मानवाधि‍कार कार्यकर्ता और टीवी प्रजेंटर रेहम खान ने कहा, 'मैं एक औरत हूं. औरत की तरह दिखती हूं. मुझे औरत होना पसंद है. लेकिन लोग मुझसे कहते हैं मैम आप दबंग है, बिल्कुल सल्लू भाई की तरह.'

कॉन्क्लेव 2016 में रेहम खान कॉन्क्लेव 2016 में रेहम खान
स्‍वपनल सोनल
  • नई दिल्ली,
  • 18 मार्च 2016,
  • अपडेटेड 5:51 PM IST

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव- 2016 में शुक्रवार को चर्चा भारत-पाकिस्तान को लेकर महिला सशक्ति‍करण पर हुई. चर्चा इस बात पर कि ऐसी कौन सी बातें हैं जो हमें आपस में जोड़ती हैं. लेकिन शांति और संवाद की चाहत रखने वाले जमात को पड़ोसी मुल्क से आई रेहम खान ने उस वक्त झकझोर कर रख दिया, जब उन्होंने कहा, 'वह बात जो हमें साथ बांधती है, जोड़ती है, वह है हमारी चुप्पी. हम चुप हैं, अपने-अपने घरों की वास्तविकता को छिपाने के लिए. हम चुप हैं.'

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मानवाधि‍कार कार्यकर्ता और टीवी प्रजेंटर रेहम खान ने कहा, 'मैं एक औरत हूं. औरत की तरह दिखती हूं. मुझे औरत होना पसंद है. लेकिन लोग मुझसे कहते हैं मैम आप दबंग है, बिल्कुल सल्लू भाई की तरह. हम सिनेमा के टाइटल देखते हैं कपूर एंड संस. चौधरी एंड संस. लेकिन हम चौधरी एंड डॉटर्स नहीं कहते. मैं यही कहना चाहती हूं कि ये असमानता सीमा के उस पार भी है, इस पार भी. स्त्री जाति से यह द्वेष कहीं और नहीं घर पर शुरू होता है.

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दोनों मुल्कों में महिलाओं के खि‍लाफ अपराध बढ़ा
रेहम ने कहा, 'मैं जब यह नोट्स बनाने लगी कि वो कौन सी चीजें हैं जो दोनों मुल्कों में महिलाओं को लेकर समान हैं, तो मैं रुक गई. क्योंकि दोनां ओर महिलाओं के खिलाफ अपराध की संख्या बढ़ी है. न सिर्फ पाकिस्तान में बल्कि भारत में भी. इसका दोषी कौन है. भारत में 2014 के आंकड़े बताते हैं कि 86 फीसदी से अधिक रेप के मामलों में रिश्तेदार आरोपी हैं.'

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महिलाओं की भागीदारी, कितना सच
पाकिस्तानी टीवी प्रजेंटर ने कहा कि समाज में महिलाओं को एक टूल की तरह इस्तेमाल किया गया. एक औरत हर काम में आगे होती है, लेकिन जब बात निर्णय करने की आती है तो वह गौण हो जाती है. दुनियाभर में वर्कफोर्स की 40 फीसदी ही महिलाएं हैं. इनमें से सिर्फ 16.9 फीसदी ही एग्जीक्यूटिव पोस्ट पर जा पाती हैं. पाकिस्तान में यह 19 फीसदी है. भारत में 33 फीसदी. वह कहती हैं, 'हम महिलाओं को अधि‍क से अधि‍क संख्या में असेंबली पहुंचाने की बात करते हैं, लेकिन यह बताइए कि क्या हम उन्हें सुनने की भी इच्छा रखते हैं?'

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उन्होंने आगे कहा कि दोनों मुल्कों में महिलाओं की कम उम्र में शादी हो रही है. उन्हें घर में प्रताड़ित किया जा रहा है. सड़क पर वह सुरक्षित नहीं है. पाकिस्तान में हाल ही वुमन प्रोटेक्शन बिल लागू किया गया, लेकिन क्या ऐसा करने से महिलाएं आगे आएंगी.

'आर्मी फैमिली से हूं, लेकिन PAK के लिए दुर्भावना नहीं'
दूसरी ओर, रेहम के साथ चर्चा में शि‍रकत कर रहीं एक्ट्रेस और आम आदमी पार्टी की सदस्य गुल पनाग ने कहा कि वह एक आर्मी फैमिली से नाता रखती हैं. उनके दादा, पिता सबने पाकिस्तान के खिलाफ हर लड़ाई में हिस्सा लिया. लेकिन कभी पाकिस्तानी लोगों के बारे में दुर्भावना का शिकार नहीं हुईं.

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वह कहती हैं, 'जैसे-जैसे मैं बड़ी हुई, मुझे अहसास हुआ कि दोनों मुल्कों के बीच बहुत सी समानताएं हैं. कई चीजें हैं जो हमें जोड़ती हैं. मुझे लगता है कि यहां मौजूद हर आदमी यह समझता और मानता है कि पाकिस्तान के साथ हमारे रिश्ते किस कदर शांतिपूर्ण होने चाहिए. दोनों मुल्कों के बीच शांति के बिना राजनीतिक स्थिरता, आर्थिक स्थिरता या सामाजिक स्थिरता कायम नहीं हो सकती.'

युवाओं से हैं उम्मीदें
गुल ने आगे कहा, 'दो से तीन वर्षों में 19-20 साल की उम्र का एक ऐसा युवा वर्ग हमारे बीच होगा, जिसने दोनों मुल्कों के बीच कोई युद्ध नहीं देखा. मुंबई, गुरदासपुर और पठानकोट में जो हुआ वह मुद्दे राज्य के मुद्दे हैं और दोनों मुल्कों की सरकार को चाहिए कि वह इसे सुलझाए. हमें आने वाले कल से नए दौर के युवाओं से काफी उम्मीदें हैं.'

दोनों मुल्कों में महिलाओं के मुद्दे पर बोलते हुए गुल पनाग ने कहा, 'हम एक-दूसरे के करीब कैसे हो सकते है? पहली बात तो यह जरूरी है कि हम एक-दूसरे के संपर्क में आए. दूसरी बात यह कि महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई जाए. अगर महिला के तौर पर हमारी समाज में थोड़ी भागीदारी बढ़े तो मुझे लगता है कि दोनों मुल्कों के बीच हालात बेहतर हो सकते हैं.'

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