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गणतंत्र दिवस परेड में नजर आने वाली सैन्य ताकत में इस बार देसी दम दिखा. 68वें गणतंत्र दिवस परेड की शुरुआत में जहां लाइट कांबेट हेलिकॉप्टर रुद्र नजर आया तो अंत में होने वाले फ्लाइपास्ट में पहली बार स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस के करतब दिखें. गणतंत्र दिवस परेड में एक दर्जन से ज्यादा शस्त्र स्वदेशी थे, जिसमें रडार से लेकर मिसाइलें और तोप खाने से लेकर रेकी वाहन शामिल हैं. परेड में दिखाए जाने वाले सैन्य साजो-सामान में देसी उपकरणों का बोलबाला नजर आया है.
विंग कमांडर रमेश कुमार दुबे के नेतृत्व में परेड की शुरुआत हुई. चार एमआई-17 हेलिकॉप्टर आकाश से पुष्प वर्षा करेंगे. इनमें से एक हेलिकॉप्टर तिरंगा लेकर उड़ा, जबकि तीन अन्य हेलिकॉप्टरों पर सेना, नौसेना और वायु सेना का पताका फहराया गया. इसके बाद परेड कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज नरवाने और उनके नायब मेजर जनरल राजेश सहाय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर--भारत के राष्ट्रपति के प्रति सम्मान प्रकट किया. परमवीर चक्र और अशोक चक्र से सम्मानित सैनिक भी परेड कमांडर का अनुसरण किया गया.
परेड का सबसे बड़ा आकर्षण भारत के एकमात्र कैवेलरी का अपने प्रतापी घोड़ों के साथ मार्च हुआ. इतना ही नहीं टी-90 टैंक, आकाश और ब्रह्मोस मिसाइल भी राजपथ पर नज़र आएं. अर्धसैनिक बलों के मार्चिंग दस्ते में बीएएसएफ का ऊंट सवार दस्ता और बैंड भी शामिल हुआ. 25 राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार पाए बच्चे भी गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बने. अर्धसैनिक बल की टुकड़ी का नेतृत्व बीएसएफ का ऊंट बैंड ने किया. इसके बाद भारतीय तटरक्षक बल, सीआईएसएफ, दिल्ली पुलिस, एनएसजी और एनसीसी की टुकड़ियां मार्च किया.
शौर्य का हुआ प्रदर्शन
इसके साथ ही सेना की मोटरसाइकिल टीम अपने अदभुत करतब दिखाया. परेड के बड़े आकर्षण में से एक एमआई-35 हेलिकॉप्टरों, स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस, जगुआर और सुखोई की सलामी उड़ान ली. हालांकि, ये दोनों कार्यक्रम परेड के आखिरी चरण में हुआ. सेना अपने टैंक टी-90 और इन्फैन्ट्री कॉम्बैट व्हीकल और ब्रह्मोस मिसाइल, हथियार का स्थान बताने वाले रडार स्वाति, ढुलाई करने लायक उपग्रह टर्मिनल और आकाश हथियार प्रणाली को भी दर्शाया गया. एक और आकर्षण धनुष तोप प्रणाली हुआ. इसके बाद एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर रूद्र सलामी उड़ान भरी. गणतंत्र दिवस परेड में मेकैनाइज्ड इन्फैन्ट्री रेजीमेंट, बिहार रेजीमेंट, गोरखा ट्रेनिंग सेंटर और पंजाब रेजीमेंटल सेंटर, सिख रेजीमेंटल सेंटर, मद्रास इंजीनियरिंग ग्रुप, इन्फैन्ट्री, बटालियन (क्षेत्रीय सेना) सिख लाइट इन्फैन्ट्री का संयुक्त बैंड भी दिखा. परेड में पूर्व सैन्यकर्मियों की झांकी भी दिखी.
इसके बाद नौसेना की मार्चिंग टुकड़ी और नौसेना की भी एक झांकी दिखाई गई. वायु सेना के मार्चिंग टुकड़ी के बाद वायु सेना की भी एक झांकी दिखाई गई, जिसमें भारतीय वायुसेना के सैन्य कौशल को प्रदर्शित किया गया. रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) अपने एडवांस्ड टॉड आर्टिफिसियल गन सिस्टम (एटीएजीएस) और मध्यम क्षमता वाले रडार अरूध्र को प्रदर्शित किया गया.
पहली बार तेजस ने दिखाया जलवा
गणतंत्र दिवस के मौके पर पहली बार भारत का लड़ाकू विमान तेजस ने अपना दम दिखाया. इसने बीकानेर के नाल से उड़ान भरी. तेजस 50 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है. इसमें हवा से हवा में मार करने वाली डर्बी मिसाइल लगी है तो जमीन पर निशाने लगाने के लिए आधुनिक लेजर गाइडेड बम लगे हुए हैं. तेजस का फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम जबरदस्त है. तेजस में लगे लेजर गाइडेड बम दुश्मन के ठिकाने पर सटीक निशाना लगा सकते हैं. यह चीन और पाकिस्तान के साक्षा उपक्रम से बने जेएफ-17 से कहीं ज्यादा बेहतर है. 1350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेजस एक उड़ान में 2,300 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है. तेजस 3000 किलो विस्फोटक और बम लेकर उड़ सकता है और हवा में ही तेल भरवा सकता है पर जेएफ-17 ऐसा नहीं कर सकता. तेजस 460 मीटर चलने के बाद ही हवा में उड़ सकता है. इसे सीसीएम यानि क्लोज कॉम्बेट मिसाइल और बीबीएम बियॉन्ड विसुअल रेंज मिसाइल भी लैस किया गया है. विमान में लगे सामान्यच सिस्टम जिसमें ईंधन प्रबंधन से लेकर स्टीलयरिंग तक सब भारत में ही निर्मित हैं.
देसी बोफोर्स धनुष का दम
गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार नजर आने वाले साजो-सामान में एक खास आकर्षण देसी बोफोर्स धनुष और डीआरडीओ की ओर से विकसित एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम हुआ. डीआरडीओ ने चार साल में 155 एमएम श्रेणी में दो नई तोपें बनाई हैं जिन्हें देसी कंपनियों की मदद से तैयार किया गया है. डीआरडीओ की ओर से विकसित की गईं इन तोपों की खूबी है कि इन्हे कहीं भी जल्द से जल्द से ले जाया जा सकता है. तोपों में ऑक्सिलरी पॉवर मोड लगा है जिसकी मदद से इसे बेहद साइलेंट तरीके से भी चलाया जा सकता. तोप में एडवांस कम्यूनिकेशन सिस्टम, ऑटोमेटिक कमांड और कंट्रोल सिस्टम भी लगा है, जिसके कारण रात में इनके जरिए फायरिंग करना आसान होगा. आपको बता दें कि 155 एमएम 52 कैलिबर की इन तोपों की फायरिंग रेंज करीब 45 किलोमीटर की है. राजपथ पर अपना जलवा बिखरने वाली इन तोपों के पीछे डीआरडीओ की पुणे लैब का दिमाग है. जिसने ATAGS के तहत इनका डिजाइन तैयार किया है. DRDO का लक्ष्य है कि प्राइवेट सेक्टर के साथ मिलकर भारतीय सेना के लिए बेहतरीन हथियारों का निर्माण किया जाए. फिलहाल इस तोप के सफल परीक्षण के बाद से चीन और पाकिस्तान में खलबली मची हुई है. मेक इन इंडिया के तहत इन तोपों का निर्माण किया जा रहा है. इसकी रेंज और मारक क्षमता के कारण इनको सीमा पर तैनात करने के बारे में सोचा जा रहा है.
पहली बार दिखा अरुध्र रडार
गणतंत्र दिवस की परेड पर होने वाले सैन्य प्रदर्शन में ब्राह्मोस, आकाश जैसी मिसाइलें होंगी और देश में बने उन्नत रडार सिस्टम भी परेड का हिस्सा रहे. परेड में पहली बार डीआरडीओ की रडार प्रणाली अरुध्र का भी प्रदर्शन भी किया गया. स्वदेशी तकनीक से बना यह भारत का सबसे उन्नत रडार सिस्टम है. इसकी खूबी है कि ये 800 किमी के दायरे में 150 टारगेट का पता लगा सकता है. साथ ही ये अपने और दुश्मन के टारगेट की पहचान करने में भी सक्षम है.
यूएई का दस्ता
पहली बार परेड में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के 144 जवानों का दस्ता भी सेना के जवानों के साथ परेड की अगुवाई करता नजर आया. ऐसा इसलिए हो रहा है , क्योंकि इस साल गणतंत्र दिवस में मुख्य अतिथि अबु धाबी के शहजादे मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान हैं.
NSG कमांडो का जलवा
करीब 100 एनएसजी कमांडो का दस्ता भी पहली बार गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुए. एनएसजी ने पठानकोट आतंकी हमले से निपटने में ख़ास भूमिका निभाई थी.