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त्योहारों के मौसम में एयरलाइन कंपनियां हवाई सफर के किराए बढ़ा देती हैं. आपातकालीन स्थिति में आपको हवाई यात्रा करनी पड़ जाए तो भी आपको किराए के नाम पर जेब अधिक ढीली करनी पड़ती है. ‘डिमांड एंड सप्लाई’ का हवाला देकर एयरलाइन कंपनियां यात्रियों से अधिक से अधिक मुनाफा बटोरने की कोशिश में रहती हैं. ऐसी सूरत में ऊंचे हवाई किराए देखकर कई बार यात्रियों को या तो यात्रा स्थगित करनी पड़ती है या फिर ट्रेन से सफर का विकल्प चुनना पड़ता है.
दरअसल, देश में उड्डयन क्षेत्र का जैसे-जैसे दायरा बढ़ता जा रहा है, छोटे शहर भी हवाई नक्शे से जुड़ते जा रहे हैं, वैसे-वैसे एयरलाइन कंपनियों को लेकर लोगों की शिकायतें बढ़ती जा रही हैं.
परिवहन और पर्यटन मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने एयरलाइन कंपनियों के इस बर्ताव का संज्ञान लिया है. टीएमसी के राज्य सभा सांसद डेरेक ओ ब्रॉयन की अध्यक्षता वाली समिति ने हवाई किरायों को लेकर एयरलाइन कंपनियों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए सरकार से हवाई टिकटों के अधिकतम दाम की सीमा तय करने की सिफारिश की है.
गुरुवार को संसद में पेश हुई है रिपोर्ट
गुरूवार को समिति ने अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की है. समिति के मुताबिक "त्योहारों के मौसम में या यात्रा की तारीख़ से नजदीक टिकट की बुकिंग करवाने पर एयरलाइन कंपनियां कई बार सामान्य किराए से दस गुना ज़्यादा किराया वसूलती हैं. ये मनमाना और अस्वीकार्य है."
समिति का कहना है कि एयरलाइन कंपनियों को यात्रियों के इस तरह शोषण की इजाज़त नहीं दी जा सकती है. लिहाज़ा किराए की अधिकतम सीमा तय की जानी चाहिए. समिति ने इस मामले में नागरिक उड्डयन मंत्रालय की भी आलोचना की है. समिति के मुताबिक सब कुछ जानते हुए भी मंत्रालय इस मामले में कोई सक्रिय क़दम नहीं उठा रहा है.
एयरलाइन कर्मचारियों के व्यवहार पर चिंता जताई
पिछले दिनों एयरलाइन कंपनियों के कर्मचारियों की ओर से यात्रियों से बदसलूकी और मारपीट जैसी कई घटनाएं सामने आई हैं. समिति ने ऐसी घटनाओं पर भी चिंता और नाराज़गी दिखाई है. एयरलाइन कंपनी इंडिगो का नाम लेकर समिति ने अपनी रिपोर्ट में कड़ी टिप्पणी करते हुए कंपनी के ग्राउंड स्टॉफ और केबिन क्रू को अपने व्यवहार में परिवर्तन लाने की हिदायत दी है.
समिति की बैठकों के दौरान कई सदस्यों ने अपनी आपबीती सुनाते हुए दावा किया कि एयरलाइन स्टाफ यात्रियों को 'अशिक्षित’ और यहां तक कि 'पशुओं’ जैसा समझते हैं. समिति ने आगाह किया है कि एयरलाइन कंपनियों के कर्मचारियों को इस तरह के बर्ताव से बाज आना चाहिए. समिति ने सुझाव दिया है कि एयरलाइन कंपनियों को अपने सभी कर्मचारियों के लिए ऐसे प्रशिक्षण का इंतज़ाम करना चाहिए जिससे वो यात्रियों के प्रति और संवेदनशील हो सकें.
समिति की एक बैठक में पेश हुए नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव ने सदस्यों को भरोसा दिलाया कि ऐसे मामलों में तुरंत कदम उठाए जा रहे हैं. सचिव ने कहा कि जो एयरलाइन कर्मचारी ऐसी हरकतों में शामिल पाए जाएंगे उन्हें आगे से एक कर्मचारी के तौर पर देश के किसी भी एयरपोर्ट में घुसने की इजाजत नहीं दी जाएगी.
चेक-इन काउंटरों पर जानबूझकर देरी
विषय की समीक्षा के दौरान समिति के सामने एयरलाइन कंपनियों की मनमानी के कई और उदाहरण भी सामने आए. चेक इन काउंटरों पर देरी उनमें से एक है. ऐसे आरोप सामने आए कि एयरपोर्टों पर चेक-इन की प्रक्रियां लंबी और कष्टप्रद होती हैं. समिति ने खास तौर पर कम किराए वाली कंपनियों के चेक-इन काउंटरों की हालत गड़बड़ पाई. समिति का यहां तक कहना है कि इन काउंटरों पर जानबूझकर लंबी लंबी लाइनें लगाई जाती हैं ताकि यात्रियों को सामानों के चेक इन में काफ़ी समय लगे जिससे कि उनकी फ्लाइट छूट जाए और वो अगली फ्लाइट के लिए महंगी टिकट लेने को मजबूर हो सकें.
ऐसी सूरत से बचने के लिए समिति ने सभी एयरलाइन कंपनियों और सरकार को ऐसी व्यवस्था करने की हिदायत दी है जिससे किसी यात्री को ज्यादा से ज्यादा 10 मिनट ही चेक-इन काउंटर पर रुकना पड़े. इसके लिए एयरलाइन कंपनियों को पर्याप्त संख्या में कर्मचारी रखने के लिए कहा गया है.
टिकट रद्द करवाना इतना महंगा क्यों?
समिति ने यात्रा नहीं करने की स्थिति में टिकट रद्द करवाने पर एयरलाइन कंपनियों की ओर मनमाना चार्ज वसूले जाने का भी संज्ञान लिया है. समिति ने टिकट रद्द करने का चार्ज टिकट के मूल यानि बेस किराए का अधिकतम 50% तय करने की सिफ़ारिश की है. समिति ने ये भी सुझाव दिया है कि टिकट के किराए में शामिल टैक्स और फ्यूल सरचार्ज यात्रियों को वापस लौटाया जाना चाहिए.
समिति के अन्य सुझाव
परिवहन और पर्यटन मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने यात्रियों की सुरक्षा जांच को और सुगम बनाने, हवाई जहाजों में यात्रियों के लिए ज़्यादा लेग स्पेस और हवाई अड्डों की सफ़ाई बढ़ाने जैसे कई अन्य सुझाव भी दिए हैं.
किरायों को लेकर समिति की रिपोर्ट पर नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा है कि ये अंतर्राष्ट्रीय नियम कानूनों के हिसाब से तय होते हैं. उन्होंने और देशों की तुलना में भारत में हवाई किरायों को कम बताया.
परिवहन और पर्यटन मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति के सदस्य राजीव शुक्ला ने कहा कि त्योहारों या छुट्टियों में हवाई किराए आसमान छूने लगते हैं, सरकार को इसके लिए कोई नियामक व्यवस्था बनानी चाहिए जिससे एयरलाइन कंपनियों की मनमानी को रोका जा सके.
इसी समिति के एक और सदस्य पप्पू यादव ने कहा कि समिति सरकार को सिफारिश कर भी दे तो वो मानी जाने वाली कहां हैं. पप्पू यादव ने आरोप लगाया कि सरकार समिति की नहीं एयरलाइन कंपनियों के मालिकों की सुनती है.पप्पू यादव ,सदस्य,परिवहन और पर्यटन मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति.