
रियो ओलंपिक में भारत को पदक की उम्मीद तीरंदाजों से भी है. खासकर दीपिका कुमारी से. भले ही ओलंपिक में अबतक इंडियन आर्चर्स खाली हाथ ही रहे हों. लेकिन भारतीय तीरंदाजों का हुनर और उनकी काबिलियत हमेशा देश को पदक की आस जगह देती है. रियो ओलंपिक में कुछ उम्मीदें ऐसी ही हैं. भारतीय तीरंदाज रियो में पदक जीतेंगे ऐसा माना जा रहा है.
महिला तीरंदाजों से है पदक की उम्मीद
2012 लंदन ओलंपिक में भारतीय पुरूष तीरंदाजी टीम ने प्री क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय किया था. लेकिन रियो में भारत की पुरूष टीम क्वालीफाई तक नहीं कर सकी. पुरूषों की व्यक्तिगत स्पर्धा में अतानू दास एकमात्र भारतीय तीरंदाज हैं. ऐसे में देश को तीरंदाजी टीम इवेंट का पहला ओलंपिक मेडल दिलाने की जिम्मेदारी दीपिका कुमारी, लैशराम बोम्बायला देवी और लक्ष्मी रानी माझी की महिला टीम पर है. रियो ओलंपिक में भारतीय महिला तीरंदाजों की टीम सात अगस्त को अपने अभियान का आगाज करेगी.
आठ दिनों तक तीरंदाजी स्पर्धाएं होंगी
रियो ओलंपिक के दौरान आठ दिनों तक तीरंदाजी स्पर्धाएं होंगी और इन स्पर्धाओं में 56 देशों के 128 तीरंदाज हिस्सा लेंगे. ओलंपिक में हिस्सा ले रहे सभी भारतीय तीरंदाजों की रैंकिंग अच्छी है, और वे बेहतरीन फॉर्म में भी हैं. हालांकि इतिहास बताता है कि भारतीय टीम मजबूत टीमों के खिलाफ अहम मैचों में अपने नब्ज़ पर काबू नहीं रख पाती है. जिसके चलते टफ फाइट देने के बावजूद भारतीय तीरंदाज़ों को हार झेलनी पड़ी है. ऐसे में रियो में इंडियन आर्चर्स अगर धैर्य खोने की अपनी इस कमज़ोरी को खत्म कर लेते हैं तो पदक हमारा होगा.
भारतीय तीरंदाजों की चुनौती
रियो ओलंपिक में भारतीय तीरंदाजों के लिए कृत्रिम रोशनी में खेलना एक बड़ी चुनौती होगी. भारतीय तीरंदाजों को कृत्रिम रोशनी में खेलने का अभ्यास नहीं है. ऐसे में इस नई परिस्थिति में अगर वो खुद को ढाल पाते हैं. तो पदक उनका हो सकता है. दीपिका और बोम्बायला देवी लंदन ओलंपिक का हिस्सा रह चुकी हैं. लेकिन माझी और अतानू पहली बार ओलंपिक में हिस्सा ले रहे हैं. भारत को सबसे ज़्यादा उम्मीदें भारतीय महिला टीम से है. जिसकी अगुवाई पूर्व वर्ल्ड नंबर वन दीपिका के हाथों में है. दीपिका ने इस बार ओलंपिक के लिए मुश्किल तैयारी की है. और क्वालीफाइंग मैच में उनका प्रदर्शन शानदार रहा है. क्वालीफायर्स के दौरान दीपिका ने दो बार वर्ल्ड रिकॉर्ड को तोड़ा था. और दीपिका का यही फॉर्म रियो में उन्हें गोल्ड मेडल का सबसे बड़ा दावेदार बनाता है.
एलिमिनेशन राउंड सात अगस्त से शुरू होगा
महिला टीम का एलिमिनेशन राउंड सात अगस्त से शुरु होगा. जबकि आर्चरी महिला टीम के खिताबी मुकाबले आठ अगस्त को होंगे. और आठ अगस्त को ही महिला इंडिविजुअल आर्चरी इवेंट के एलिमिनेशन राउंड शुरु होंगे. महिला इंडिविजुअल आर्चरी इवेंट के खिताबी यानी पदक के लिए फाइनल मुकाबले 12 अगस्त को होंगे. भारतीय तीरंदाजों का ओलंपिक में अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2004 और 2008 में रहा है. इन दोनों ओलंपिक्स में महिला टीम क्वार्टर फाइनल तक पहुंचने में सफल रही थी. लेकिन व्यक्तिगत स्पर्धा में अब तक कोई भी भारतीय तीरंदाज क्वार्टर फाइनल तक नहीं पहुंच सका है. यही वजह है कि भारतीय तीरंदाजी संघ ने इस बार एक महीने पहले ही भारतीय दल को रियो भेज दिया. ताकि वे यहां के वातावरण के अनुकूल खुद को अच्छी तरह ढाल सकें. भारत के नाम तीरंदाजी में अब तक कोई भी ओलंपिक पदक नहीं है. भारतीय तीरंदाज 1988 के बाद से हर बार ओलंपिक में हिस्सा लेते रहे हैं. ऐसे में भारत को इतिहास रचने के लिए रियो में अपना बेस्ट देना होगा. वो भी पूरे धैर्य के साथ.