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भारतीय सेना ने 14,000 फुट की ऊंचाई पर चीन के खिलाफ नई युद्ध रणनीति का अभ्यास शुरू किया है. यह अपनी तरह की पहली युद्ध रणनीति है. यह युद्धाभ्यास अरुणाचल प्रदेश में लाइन ऑफ कंट्रोल (LAC) से 100 किलोमीटर दूर किया जा रहा है. सेना द्वारा अपनाए गए नए इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स (IBGs) की क्षमता का परीक्षण करने के लिए अरुणाचल प्रदेश के तवांग में कई चरणों में यह युद्धाभ्यास किया जा रहा है.
चीन से बचाव के लिए सेना तैनात
सूत्रों ने बताया कि शुरुआती योजना अरुणाचल प्रदेश के निचले इलाकों में अभ्यास करने की थी, लेकिन उससे सेना का मकसद पूरा नहीं होता. सेना अपनी नई रणनीति की क्षमता को उन इलाकों में परखना चाहती है जहां कभी युद्ध लड़ा जा सकता है. ये इलाके करीब 15,000 फुट की ऊंचाई पर हैं जहां पर चीन से बचाव के लिए सेना की अग्रिम चौकियां व पोस्ट हैं और बटालियन तैनात हैं.
इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स एक नया सैन्य प्रयोग
अरुणाचल प्रदेश की सीमा के उस पार तिब्बत का वह स्वायत्त इलाका है जो फिलहाल चीन के कब्जे में है. सूत्रों ने बताया कि चीन इस युद्धाभ्यास से थोड़ा चिंतित जरूर है लेकिन इसके बारे में कूटनीतिक स्तर पर बातचीत हो चुकी है. इस महीने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत दौरे पर आ रहे हैं, इस दौरे और मामले की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया गया है कि यह युद्धाभ्यास लाइन ऑफ कंट्रोल से 100 किलोमीटर दूर किया जाएगा.
इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स (IBGs) एक नया सैन्य प्रयोग है जिसके तहत सेना दुश्मन पर हमले के दौरान अपनी क्षमता को अधिक तेज और अधिक शक्तिशाली बनाना चाहती है. IBGs ब्रिगेड आधारित होगी और यह इलाके और खतरों के हिसाब से विशिष्ट क्षमताओं से लैस होंगी. इस अभ्यास की शुरुआती प्रक्रिया संपन्न की जा चुकी है. यह अभ्यास कई चरणों में होगा और अंतिम चरण का अभ्यास 25 अक्टूबर को संपन्न होगा.
युद्ध अभ्यास बड़ी चुनौती
IBGs अलग विंग में सेना के कामकाज को अंजाम देगी. यह सेना के एक कमांड के तहत पैदल सेना, तोपखाना और हवाई सुरक्षा जैसी सभी युद्धक क्षमताओं का एक साथ इस्तेमाल करेगी. सूत्रों का कहना है कि इसकी युद्ध करने की क्षमता इलाकों और जरूरतों के मुताबिक अलग-अलग होगी. जैसे ऊंचे इलाकों या पहाड़ों पर यह विंग तोपों से लैस होगी जो पैदल सेना की बटालियनों के साथ तालमेल बिठाएगी. वहीं रेगिस्तानों में इसका स्वरूप अलग होगा. वहां दूसरे हथियारों के साथ टैंक से लैस बख्तरबंद कॉर्प यूनिट होंगी.
सूत्रों ने कहा, 'जहां पर यह अभ्यास किया जा रहा है, वहां पर भौगोलिक सीमाओं के यह कई चरणों में ही की जा सकती है. एक सीमित इलाके में इन युद्ध अभ्यासों को अंजाम देना बड़ी चुनौती है क्योंकि हम लाइन ऑफ कंट्रोल के करीब नहीं जा सकते.'
सेना की पश्चिमी कमान पहले ही ऐसा ही युद्धाभ्यास कर चुकी है जो कि पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना की क्षमता का आकलन करने के लिए था. लेकिन ऊंचे इलाकों में चीन को ध्यान में रखते हुए यह अभ्यास अभी तक नहीं किया गया था. पहला इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप्स (IBGs) गठन हिमाचल प्रदेश के योल में सेना की पश्चिमी कमान के मातहत किया जाएगा.