
चीन और पाकिस्तान से सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच भारतीय सेना ने अपनी ताकत और बढ़ाने का फैसला किया है. इसके लिए सेना ने अपने आधुनिकीकरण के लिए सबसे बड़ी खरीद योजनाओं में से एक को अंतिम रूप दे दिया है. जिसमें 40 हजार करोड़ के हथियार खरीदे जाएंगे.
इन हथियारों में बड़ी संख्या में हल्की मशीन गन, कार्बाइन और असॉल्ट राइफल शामिल हैं. इन नए हथियारों के आने पर पुराने और आउटडेटेड हो चुके हथियारों को इस्तेमाल बंद कर दिया जाएगा.
ये होंगे नए हथियार
एजेंसी के मुताबिक, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस योजना के तहत करीब 7 लाख राइफल, 44,000 लाइट मशीन गन (एलएमजी) और करीब 44,600 कार्बाइन खरीदे जाएंगे. इस संबंध में खरीद प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.
दरअसल, विश्व की सबसे शक्तिशाली पैदल सेना वाले चीन और पाकिस्तान के साथ सीमा पर तनाव और सुरक्षा संबंधी खतरों के मद्देनजर सेना को आधुनिक हथियारों से लैस किया जा रहा है. ताकि किसी भी आपात स्थिति में सेना दुश्मनों को परास्त कर सके.
निर्माण में भी तेजी के निर्देश
खरीदारी प्रक्रिया शुरू करने के साथ ही सरकार ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) को यह संदेश भेजा है कि वह विभिन्न छोटे हथियारों खासकर हल्की मशीन गन पर अपने काम में तेजी लाए.
सूत्रों ने बताया कि एलएमजी की खरीदारी के लिए ताजा 'जानकारी का अनुरोध' (आरएफआई) अगले कुछ दिनों में जारी कर दिया जाएगा. कुछ ही महीने पहले रक्षा मंत्रालय ने 7.62 कैलिबर के तोप की निविदा रद्द कर दी थी क्योंकि कई फील्ड ट्रायल के बाद इसका इकलौता विक्रेता ही बचा था. योजना शुरुआत में करीब 10,000 एलएमजी की खरीद की है.
ऐसी होगी राइफल
जो नई असॉल्ट राइफल खरीदी जाएगी, उसे भी सेना ने अंतिम रूप दे दिया है. ये राइफल 7.62 मिमी वाली असॉल्ट राइफल होगी.
हथियार खरीद संबंधी फैसला लेने वाली रक्षा मंत्रालय की सर्वोच्च संस्था रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) इस योजना को जल्द ही मंजूरी देगी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'नई असॉल्ट राइफल के लिए 'जनरल सर्विस क्वालिटी रिक्वायरमेंट्स' (जीएसक्यूआर) को अंतिम रूप दे दिया गया है और इसे खरीदने के लिए डीएसी की मंजूरी के लिए भेज दिया जाएगा.
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, 'इन्फेंट्री के आधुनिकीकरण की योजना सेना की एक बड़ी शुरुआत है और इससे पैदल सैनिकों की संपूर्ण क्षमताओं को मजबूती मिलेगी'.