
बंगलुरु के इंजीनियरिंग छात्रों जॉर्ज मैथ्यू, नितिन वसंत, अतुल बी राज और फौस्या अमाल एक ब्रेन मैंपिंग प्लेटफॉर्म पर काम कर रहे थे. इसी दौरान उनकी एक दोस्त सेक्सुअल हैरसमेंट का शिकार हो गई. वह ऐसी स्थिति में फंस गई थी कि वह अपना फोन तक नहीं निकाल सकी. उसके इन दोस्तों ने ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए एक डिवाइस का निर्माण किया. उन्हें ऐसा करने में साल भर लग गए, मगर परिणाम बेहद सुखद रहा. यह चारों स्टूडेंट इंजीनियरिंग के स्टूडेंट हैं और उनके द्वारा बनाया गया यह डिवाइस अद्भुत है.
इस डिवाइस को न्यूरोबड कहते हैं...
न्यूरोबड नामक यह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पहना जा सकता है. यह एक earphone-like electroencephalogram (EEG) डिवाइस है. यह स्मार्टफोन और पीड़ित के बीच इंटरफेस के तौर पर काम करता है. यह डिवाइस खुद-ब-खुद दर्द को भांप लेता है और SOS को एक्टिव कर देता है. परिणामस्वरूप पीड़ित कहीं भी संदेश भेज सकता है. उनके इस डिवाइस को महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है.
महिला सुरक्षा के लिए क्रांतिकारी कदम...
चूंकि महिलाएं यौनिक और शारीरिक हिंसा की चपेट में अधिक आती हैं इसलिए यह उनके लिए बेहद फायदेमंद हो सकता है. एक बार पैनिक बटन दबाने पर इसे डिसमिस करने के बीच 10 सेकंड का गैप होता है. उसके बाद यह एलर्ट भेजता है. कई मौकों पर हमलावर फोन भी छीन लेते हैं. ऐसे में यह सिस्टम सर्वर के पास एलर्ट भेजता है. इसके अलावा ये न्यूरोबड किसी ड्राइवर के सोने को भी डिटेक्ट कर उसे आगाह कर सकते हैं.