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ये है भारतीय रेल, यहां यात्रा के दौरान सामान चोरी पर रेलवे जिम्मेदार नहीं

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने उस महिला को कोई राहत देने से इनकार कर दिया है. जिसका सूटकेस ट्रेन से सफर के दौरान गुम हो गया था. आयोग ने कहा कि सामान बुक नहीं किए जाने और उसकी रसीद जारी नहीं होने की स्थिति में रेलवे जिम्मेदार नहीं है. शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने निचले आयोग के आदेश को रद्द कर दिया, जिसने रेलवे से ममता अग्रवाल नाम की महिला को मुआवजा देने को कहा था.

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अंकुर कुमार/BHASHA
  • नई दिल्ली ,
  • 21 सितंबर 2017,
  • अपडेटेड 8:51 PM IST

अगर आप भारतीय रेल से यात्रा कर रहे हैं और आपका सामान चोरी हो जाए. इस मामले में आप रेलवे को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं. राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने एक महिला के केस में फैसला दिया है कि ऐसे मामलों में रेलवे से मुआवजा नहीं लिया जा सकता है.

राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने उस महिला को कोई राहत देने से इनकार कर दिया है. जिसका सूटकेस ट्रेन से सफर के दौरान गुम हो गया था. आयोग ने कहा कि सामान बुक नहीं किए जाने और उसकी रसीद जारी नहीं होने की स्थिति में रेलवे जिम्मेदार नहीं है. शीर्ष उपभोक्ता आयोग ने निचले आयोग के आदेश को रद्द कर दिया, जिसने रेलवे से ममता अग्रवाल नाम की महिला को मुआवजा देने को कहा था.

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छत्तीसगढ़ राज्य आयोग के फैसले को बदला

महिला पश्चिम बंगाल की निवासी हैं. साल 2011 में लोकमान्य तिलक शालीमार एक्सप्रेस ट्रेन में सफर के दौरान उसका सूटकेस कथित तौर पर चोरी हो गया था. आयोग ने छत्तीसगढ़ राज्य आयोग के आदेश को रद्द कर दिया. छत्तीसगढ़ राज्य आयोग ने जिला मंच के एक फैसले को कायम रखते हुए उससे यात्री को 1.30 लाख रूपये अदा करने का आदेश दिया था.

एनसीडीआरसी ने रेलवे की इस दलील पर सहमति जताई कि रेल अधिनियम 1989 की धारा 100 के मुताबिक यह किसी सामान के गुम होने, नष्ट होने, क्षतिग्रस्त हो जाने या किसी सामान के नहीं मिलने पर तब तक जिम्मेदार नहीं होगा ,जब तक कि रेलवे ने सामान बुक नहीं किया हो और रसीद जारी नहीं की हो. गौरतलब है कि शिकायत के मुताबिक सफर के दौरान ममता के सूटकेस में सोने की तीन चेन, हीरे की दो अंगूठी और एक साधारण अंगूठी सहित तीन लाख रूपये की चीजें थी. इसके अलावा उसमें 15,000 रुपये नकद और बच्चों के कपड़े भी थे.

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