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आंखों की रोशनी खोने वाला कैसे बन गया शेयर बाजार का जानकार...

मुंबई के आशीष गोयल दुनिया के पहले दृष्टिबाधित ट्रेडर बन गए हैं. छोटी उम्र में खेल के शौकीन और बढ़ती उम्र के साथ अपनी रोशनी गंवाने वाले शख्स ने क्या-क्या नहीं महसूस किया. पढ़ें उनके संघर्षों की दास्तां...

Ashish Goyal Ashish Goyal
विष्णु नारायण
  • नई दिल्ली,
  • 29 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 4:39 PM IST

वैसे तो हम सभी अपनी-अपनी जिंदगी में अलग-अलग समस्याओं को लेकर परेशान रहते हैं लेकिन हमारे आसपास ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें देख कर लगता है जैसे हमारी सारी समस्याएं कुछ हैं ही नहीं. मुंबई के आशीष गोयल एक ऐसे ही शख्स का नाम है जिसने अपने अदम्य साहस और मजबूत इच्छाशक्ति के दम पर पूरी दुनिया को दिखा दिया कि कोई लक्ष्य मनुष्य की साहस से बड़ा नहीं, हारा वही है जो लड़ा नहीं.

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आशीष बचपन के दिनों से ही होनहार बच्चे के तौर पर शुमार किए जाते थे लेकिन जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़नी शुरू हुई वे आंखों की रोशनी खोने लगे. 9 साल की उम्र से ही उनकी रोशनी कम होने लगी जो 22 साल तक बिल्कुल ही खत्म हो गई. हालांकि, उन्होंने फिर भी हार नहीं मानी. पढ़ाई जारी रखी और आज वे देश ही नहीं दुनिया के पहले दृष्टिबाधित ट्रेडर हैं.

गौरतलब है कि आशीष को बचपन के दिनों से ही खेलकूद का खासा शौक था. महज पांच साल की उम्र में वे तैरना, साइकिल चलाना, निशाना लगाना और घोड़े की सवारी करना सीख गए थे. क्रिकेट तो उन्हें हद से अधिक पसंद था. वे सारा दिन क्रिकेट के मैदान में काटा करते. हालांकि, वे चैंपियन टेनिस खिलाड़ी बनने की चाह रखते थे.

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एक तरफ जहां आशीष के साथ स्कूल में पढ़ने वाले अधिकांश छात्र अपने करियर की प्लानिंग कर रहे थे. वहीं आशीष की जिंदगी और आंखों पर धुंधलापन छाने लगा था. वे अपने पसंदीदा टेनिस और क्रिकेट से दूर होते जा रहे थे. आंखों पर मोटे लेंस के चश्मे भी उनका कुछ खास भला नहीं कर सके. वे अलग-थलग और हताश रहने लगे.
इन तमाम विषम परिस्थितियों में उनका परिवार उनके साथ पहाड़ की तरह खड़ा रहा. दृष्टिहीनता से जूझते हुए वे लगातार संघर्ष करते रहे और अपनी पढ़ाई पूरी करने में लगे रहे.

मैनेजमेंट करने का किया फैसला...
ऐसा नहीं है कि आशीष सामान्य पढ़ाई-लिखाई से ही संतुष्ट हो गए. उनके भीतर का स्पोर्ट्समैन हमेशा जोर मारता रहता था. उन्होंने मुंबई के नरसी मोनजी इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज से मैनेजमेंट किया. उन्होंने अपने क्लास में दूसरी रैंक हासिल की और उन्हें शानदार प्रदर्शन के लिए डन एंड ब्रैडस्ट्रीट बेस्ट स्टूडेंट अवार्ड से नवाजा गया.

उन्हें शुरुआती दौर में तो नौकरी और प्लेसमेंट मिलने में दिक्कत हुई लेकिन फिर उन्हें आईएनजी वैश्य बैंक में जगह मिल गई. वे इस नौकरी से पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे और आगे की पढ़ाई जारी रखी.

अमेरिका के बिजनेस स्कूल में लिया दाखिला...
आशीष ने वैश्य बैंक की नौकरी छोड़ कर आगे पढ़ने का फैसला लिया. उन्होंने अमेरिका के व्हार्टन स्कूल ऑफ बिजनेस में दाखिला ले लिया. गौरतलब है कि दुनिया के तेज विद्यार्थी भी यहां दाखिले के लिए प्रयासरत होने के बावजूद दाखिला नहीं ले पाते. आशीष को यहां से एमबीए डिग्री लेने के बाद दुनिया के बहुप्रतिष्ठित बैंकिंग संस्थानों में एक जेपी मोर्गन के लंदन ऑफिस में नौकरी मिल गई.

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आशीष बने दुनिया के पहले दृष्टिबाधित ट्रेडर...
अब यह तो एक फैक्ट है कि आशीष दृष्टिबाधित थे लेकिन उन्होंने इसे अपनी तरक्की के आड़े नहीं आने दिया. उनकी प्रतिभा और बिजनेस की समझ को देख कर उनके साथा हैरान थे. वे ट्रेडर के तौर पर तो मशहूर होने ही लगे. साथ ही उनकी इस उपलब्धि पर साल 2010 में भारत के राष्ट्रपति ने भी सम्मानित किया. वे स्क्रीन रीडिंग सॉफ्टवेयर की मदद से कंप्यूटर पर ईमेल पढ़ते हैं. सारी रिपोर्ट्स पढ़ते हैं. इतना ही नहीं वे अरबों रुपयों के आवाजाही भी यहीं से संचालित करते हैं.

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