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अब्राहम लिंकन से सीखें गिरकर संभलना

कई बार गिरने के बावजूद मंजिल तक कैसे पहुंचा जाता है, ये हमें अब्राहम लिंकन ने सिखाया. उनके जीवन से बहुत कुछ सीखा जा सकता है. अब्राहम लिंकन के विचारों और उनके जीवन की कुछ दिलचस्प बातों को जानें...

अब्राहम लिंकन अब्राहम लिंकन
मेधा चावला
  • नई दिल्ली,
  • 12 फरवरी 2017,
  • अपडेटेड 2:47 PM IST

अमेरिका को सबसे बड़े संकट 'गृह युद्ध' से उबारने और दासता खत्म करने वाले अब्राहम लिंकन का जन्म साल 1809 में 12 फरवरी को हुआ था. अमेरिका के 16वें राष्ट्रपति हैं.

अब्राहम लिंकन के जीवन और उनकी बातों में ऐसा बहुत कुछ है, जिससे सफलता की प्रेरणा ली जा सकती है. एक गरीब परिवार में जन्म लेने वाले अब्राहम कैसे राष्ट्रपति के पद तक पहुंच गए, यह कहानी बेहद रोचक है. राष्ट्रपति बनने से पूर्व वे दो बार सीनेट के चुनाव में असफल भी हुए थे.

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क्या आप अब्राहम लिंकन के बारे में ये बातें जानते हैं?

पर अब्राहम लिंकन ने कभी हार नहीं मानी. उन्हें गिरकर संभलना आता था. अब्राहम लिंकन के विचारों और उनके जीवन के कुछ रोचक और दिलचस्प किस्सों को आप भी जानिये...

अब्राहम लिंकन ने अमेरिका को दास प्रथा से आजादी दिलाई.

लिंकन का मानना था कि किसी भी शख्स के पास इतनी अच्छी याददाश्त नहीं होती कि वह अच्छा झूठा बन सके. इसलिए झूठ बोलने से बचें और किसी दूसरे को झूठा बनाने के आरोप से भी बचें.

लिंकन को अपनी पालतू बिल्ली टैबी से बेहद प्यार था. टैबी हमेशा व्हाइट हाउस के डिनर टेबल पर ही खाना खाती थी.

सफल होने के लिए अपनाएं अब्राहम लिंकन के ये विचार

लिंकन कहते थे 'जब मैं कुछ अच्छा करता हूं तो अच्छा अनुभव करता हूं और जब बुरा करता हूं तो बुरा अनुभव करता हूं. यही मेरा मजहब है.'

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लिंकन के अनुसार दुनिया का हर व्यक्त‍ि परेशानियों का सामना कर सकता है, पर यदि आप किसी शख्स के चरित्र का पता लगाना चाहते हैं तो उसे सत्ता सौंप दें.

थैंक्सगिविंग डे को राष्ट्रीय पर्व के रूप में अब्राहम लिंकन ने ही मनाना शुरू किया था.

साल 1865 में अपनी हल्या से कुछ घंटे पहले ही उन्होंने सीक्रेट सर्विसेज का गठन किया था.

साल 1876 में चोरों ने 2 लाख डॉलर की फिरौती के लिए उनकी लाश चोरी करने की कोशिश की.

अब्राहम लिंकन हमेशा कहते थे कि इस बात का हमेशा ख्याल रखें कि सिर्फ आपका संकल्प ही आपकी सफलता के लिए मायने रखता है, कोई और चीज नहीं.

दोस्ती पर अब्राहम का अनोखे विचार थे. वो कहते थे कि क्या मैं अपने दुश्मनों को तब तबाह नहीं करता जब मैं उन्हें अपना दोस्त बनाता हूं? यानी दुश्मनों को दोस्त बना लो, दुश्मनी अपने आप खत्म हो जाएगी. वो ये भी कहते थे कि दोस्त तो वही होता है, जिसके वही दुश्मन हों जो आपके हैं.

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