
कुलभूषण जाधव को फांसी पर हेग की अंतर्राष्ट्रीय अदालत में सुनवाई की शुरुआत भारत की दलीलों से हुई. भारतीय टीम की अगुवाई सीनियर वकील हरीश साल्वे कर रहे थे. भारत ने फांसी की सजा पर रोक का आदेश पारित करने की मांग की. साल्वे का कहना था कि पाकिस्तान जाधव को कभी भी फांसी दे सकता है. उन्होंने जाधव की बेगुनाही का दावा किया और आरोप लगाया कि उन्हें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों ने ईरान से अगवा किया है. अदालत अपने फैसले की तारीख जल्द बताएगी.
सजा पर रोक की मांग
भारत की पैरवी करते हुए सीनियर वकील हरीश साल्वे ने फांसी की सजा पर फौरन रोक की मांग की. उन्होंने कहा कि अदालत जाधव को सुनाई गई सजा को विएना संधि के खिलाफ करार दे. साल्वे ने अदालत को बताया कि कई बार अनुरोध के बावजूद भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों को जाधव से मिलने की इजाजत नहीं दी गई. उनका आरोप था कि जाधव को सुनवाई के दौरान अपना पक्ष रखने का मौका नहीं मिला.उन्होंने आशंका जताई की मामले में कानूनी प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही पाकिस्तान जाधव को फांसी दे सकता है.
'जाधव के खिलाफ आरोप झूठे'
साल्वे ने दावा किया कि जाधव के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं और पाकिस्तान ने महज उनके कथित कबूलनामे के आधार पर फांसी की सजा सुनाई है. मुंबई के रहने वाले कुलभूषण जाधव को अप्रैल महीने में पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी. पाकिस्तान का आरोप है कि जाधव भारतीय नेवी के कमांडर हैं और ईरान में झूठी पहचान बनाकर पाकिस्तान के भीतर दहशतगर्दी फैला रहे थे. वहीं, भारत का कहना है कि जाधव नौसेना से रिटायर हो चुके हैं और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों ने उन्हें ईरान से अगवा किया है. केंद्र सरकार ने 8 मई को जाधव की फांसी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय अदालत का दरवाजा खटखटाया था.