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राष्ट्रपति ने फिर पढ़ाया इंसानियत का पाठ, इशारों-इशारों में PM मोदी को नसीहत

शिवसेना के हंगामे और राशिद इंजीनियर पर स्याही फेंके जाने की घटनाओं के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को एक बार फिर देश को सहनशीलता और धार्मिक सहिष्णुता का पाठ पढ़ाया. इशारों में ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नसीहत भी है कि वे सहयोगियों पर लगाम लगाएं.

President Pranab Mukherjee President Pranab Mukherjee
विकास वशिष्ठ
  • बीरभूम,
  • 19 अक्टूबर 2015,
  • अपडेटेड 9:35 AM IST

शिवसेना के हंगामे और राशिद इंजीनियर पर स्याही फेंके जाने की घटनाओं के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को एक बार फिर देश को सहनशीलता और धार्मिक सहिष्णुता का पाठ पढ़ाया. इशारों में ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नसीहत भी है कि वे सहयोगियों पर लगाम लगाएं.

प्रणब मुखर्जी ने कहा कि मानवता और बहुलवाद को किसी हालत में नहीं छोड़ना चाहिए. अपनाना और आत्मसात करना भारतीय समाज की विशेषता है. हमारी सामूहिक क्षमता का उपयोग समाज में बुरी ताकतों के खिलाफ संघर्ष में किया जाना चाहिए.

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राष्ट्रपति ने जताई यह आशंका
प्रणब पश्चिम बंगाल के एक स्थानीय साप्ताहिक अखबार नयाप्रजंमा की ओर से आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने आशंका जताई कि सहिष्णुता और असंतोष को स्वीकार करने की क्षमता खत्म तो नहीं हो रही है.

याद दिलाई रामकृष्ण परमहंस की सीख
प्रणब ने वहां मौजूद लोगों को रामकृष्ण परमहंस की 'जौतो मौत, तौतो पौथ' की याद दिलाई. इसका मतलब होता है कि जितनी आस्थाएं उतने ही रास्ते. राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय सभ्यता अपनी सहिष्णुता के दम पर 5000 साल तक अपना अस्तित्व कायम रख सकी. इसने सदा असंतोष और मतभेद को स्वीकार किया है. बहुत सी भाषाएं, 1600 बोलियां और सात धर्म भारत में एक साथ अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं.

जताई असुरों के नाश की उम्मीद
प्रणब ने कहा कि हमारा एक संविधान है, जो इन सभी मतभेदों को स्थान देता है. दुर्गा पूजा समारोहों की पूर्व संध्या पर मुखर्जी ने उम्मीद जताई कि सभी सकारात्मक ताकतों के समागत वाली महामाया असुरों का नाश कर देंगी.

इनपुट-भाषा

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