
इससे पहले हुए दो चुनावों में भी बेंजामिन को बहुमत नहीं मिल पाया था, जिसे इजरायल के चुनावी इतिहास का अबतक का सबसे बड़ा डेडलॉक माना जा रहा है. इजरायल में किसी भी पार्टी या गठबंधन को बहुमत के लिए 60 सीटों की जरूरत पड़ती है, नतीजों से पहले घोषित हुए एग्जिट पोल में नेतन्याहू की लिकुड पार्टी और साथी राष्ट्रवादी पार्टियों को 61 सीटों का अनुमान दिखाया जा रहा था लेकिन जब फाइनल नतीजे तो मामला अलग ही हुआ.
गुरुवार को घोषित किए गए नतीजों में लिकुड पार्टी को 36, विरोधी ब्लैक एंड व्हाइट पार्टी को 33 सीटें मिली हैं. हालांकि, गठबंधन का साथ मिलाकर बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी 58 तक ही पहुंच पा रही है. बता दें कि इजरायल की संसद में कुल 120 सीटें हैं.
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नतीजों के बाद बेंजामिन नेतन्याहू ने अपनी जीत को ऐतिहासिक बताया और विपक्ष पर आरपो लगाया कि सामने वाली पार्टियां उनकी राष्ट्रवादी सरकार को सत्ता में आने से रोक रही हैं. अगर विरोधी पक्ष की बात करें, तो ब्लैक एंड व्हाइट पार्टी के अलावा जो अन्य छोटी पार्टियां हैं उनके पास कुल 15 सीटें हैं, लेकिन वह काफी बंटी हुई हैं ऐसे में उनके साथ आने की संभावनाएं काफी कम हैं.
बता दें कि पिछले एक साल में इजरायल तीन बार प्रधानमंत्री पद के चुनाव देख चुका है. इससे पहले अप्रैल, सितंबर में पीएम पद के लिए चुनाव हुआ था, लेकिन कोई भी पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर पाई. हालांकि इस बीच बेंजामिन नेतन्याहू ही इजरायल के पीएम बने रहे.