
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भारत दौरे पर गुजरात पहुंचे. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पल-पल नेतन्याहू के साथ रहे. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का चरखा चलाने से लेकर आसमान में पतंग उड़ाने तक में मोदी ने नेतन्याहू की मदद की. दोनों प्रधानमंत्रियों की इस मुलाकात के केन्द्र में गुजरात का केन्द्र में आना कोई नई बात नहीं है. कारोबार की दुनिया में दोनों देशों के बीच रिश्तों को समझने के लिए इजराइल का गुजरात कनेक्शन बेहद अहम है. क्योंकि मौजूदा समय में ग्लोबल डॉयमंड हब बना सूरत कभी इजराइल हुआ करता था. बीते दो दशकों में गुजरात ने अगर यह ताज छीन लिया तो आज सूरत में काटे और चमकाए जा रहे हीरे का खरीदार अब तेल अवीव की सड़कों पर घूमते हैं.
इजराइल दुनिया में डायमन्ड ट्रेडिंग का सबसे अहम केन्द्र है. चीन, रूस, अफ्रीका समेत भारत से आने वाले बेजोड़ तराशे हुए हीरे अब तेल अवीव के शोरूम में बेचने के लिए रखे जाते हैं. कभी यही तेल अवीव दुनियाभर में हीरों को तराशने और चमकाने का प्रमुख केन्द्र भी हुआ करता था. अफ्रीका और रूस की खदानों से निकलने के बाद लगभग सभी हीरे तेल अवीव में कटिंग और पॉलिशिंग के लिए लाया जाता था. डायमन्ड कटिंग की तेल अवीव इंडस्ट्री दुनियाभर में अंगूठी, पेंडेंट, स्विस घड़ियां, पर्स इत्यादि में लगाने के लिए छोटे-बड़े आकारों में डायमन्ड को तराशने का काम करती थी.
80 के दशक में तेल अवीव से सूरत पहुंचा डायमन्ड कारोबार
वैश्विक डायमन्ड कारोबार में 1980 के दशक तक इजराइल को डायमन्ड हब कहा जाता था. तेल अवीव और आसपास के कुछ शहरों में डायमन्ड इंडस्ट्री का 80 फीसदी कारोबार होता था जिसमें डायमन्ड कटिंग, पॉलिशिंग से लेकर सेल तक शामिल था. लेकिन इस दशक के दौरान सूरत के कुछ हीरा कारोबारी सस्ती लेबर कॉस्ट और नई टेक्नोलॉजी पर जल्द महारत पाने के बूते इजराइल से इस कारोबार को छीनकर अपना लोहा मनवाने में सफल हुए. मौजूदा समय में जहां भारत में दुनिया का 85 फीसदी डायमन्ड कटिंग और पॉलिशिंग के लिए आता है वहीं मुद्रा में कुल कारोबार का लगभग 60 फीसदी सूरत में होता है.
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सूरत ने 2001 से 2010 के बीच किया कमाल
इजराइल के ट्रेड आंकड़ों के मुताबिक 2001 में डायमन्ड कारोबार इजराइल के कुल एक्सपोर्ट का 60 फीसदी था. लेकिन सूरत के केन्द्र में आने की कवायद के चलते उसके एक्सपोर्ट में डायमन्ड कारोबार 41 फीसदी पर सिमटा और 2010 में यह घटकर महज 27 फीसदी के आसपास रह गया. मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक इजराइल में वित्त वर्ष 2016-17 के दौरान जहां डायमन्ड कटिंग और पॉलिशिंग में एक्सपोर्ट महज 1.3 बिलियन डॉलर का रहा वहीं इस दौरान भारत ने कुल 22 बिलियन डॉलर का एक्सपोर्ट किया. इसके अलावा जहां 1980 और 1990 के दशक में इजराइल के डायमन्ड इंडस्ट्री 25 से 35 हजार लोग काम करते थे आज महज 500 से 1000 लोग काम करते हैं. सूरत की डायमन्ड इंडस्ट्री में मौजूदा समय में 4,500 कंपनियां हैं जहां लगभग 5 लाख लोगों को राजगार मिला है.
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डायमन्ड ट्रेडिंग पर कायम है बादशाहत
रफ डायमन्ड की कटिंग और पॉलिशिंग के काम में सूरत भले ग्लोबल हब बन चुका है लेकिन डॉयमन्ड के कुल कारोबार में आज भी इजराइल की बादशाहत कायम है. ईवन-जौहर की किताब माइन टू मिस्ट्रेस के मुताबिक 1939 में ग्लोबल डायमन्ड कारोबार में फिलिस्तीन में चार डायमन्ड कटिंग प्लांट थे जहां 197 लोग काम करते थे. 1940 के दशक में जर्मनी द्वारा कब्जे के बाद बेल्जियम और हॉलेन्ड से भागकर यहूदी डायमन्ड कारोबारी पहुंचे. इस दौरान इस क्षेत्र में 33 कंपनियां बन गई और लगभग 5000 लोग इनमें काम करते थे. इसी ताकत के सहारे मौजूदा समय में इजराइल डायमन्ड कारोबार का बड़ा खिलाड़ी है और आज भी सूरत के डायमन्ड कारोबारियों को इजराइल से कटिंग और पॉलिशिंग का सबसे बड़ा काम मिलता है.