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अब भारत बना 20 का बॉस, ISRO ने तोड़ा अपना रिकॉर्ड, 26 मिनट में श्रीहरिकोटा से स्पेस पहुंचेंगे सैटेलाइट

भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने एक ही उड़ान में एक साथ 20 सैटेलाइट अंतरिक्ष में लॉन्च कर नया कीर्तिमान रचा है. इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान की ये उड़ान सुबह 9 बजकर 26 मिनट पर लॉन्च की गई.

इसरो ने लॉन्च किया पीएसएलवी-C34 इसरो ने लॉन्च किया पीएसएलवी-C34
सबा नाज़
  • नई दिल्ली,
  • 22 जून 2016,
  • अपडेटेड 12:18 AM IST

भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने बुधवार श्री‍हरिकोटा से एक ही उड़ान में एक साथ 20 सैटेलाइट अंतरिक्ष में लॉन्च कर नया कीर्तिमान रचा है. इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान की ये उड़ान सुबह 9 बजकर 26 मिनट पर लॉन्च की गई. इस सफलता पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर वैज्ञानिकों को बधाई दी है.

अपनी 36वीं उड़ान में पीएसएलवी-C34 कार्टोसैट-2 श्रृंखला के 727.5 किलो के सैटेलाइट के साथ 19 दूसरे सैटेलाइटों को अंतरिक्ष में लॉन्च किया. इसरो ने 20 सैटेलाइटों को एक साथ लॉन्च करके अपने पहले 10 सैटेलाइटों के लॉन्चिंग के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है.

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17 सैटेलाइट विदेशी, तीन देसी
पीएसएलवी-C34 की लॉन्चिंग सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से श्रीहरिकोटा में की गई. भारतीय समय के अनुसार पीएसएलवी C-34 की लॉन्चिंग 22 जून को सुबह 9 बजकर 26 मिनट पर की गई. पीएसएलवी सी-34 के 20 सैटेलाइटों में से 17 कमर्शियल सैटेलाइट हैं. यानी 17 सैटेलाइट दूसरे देशों के हैं जिन्हें भेजने के लिए इसरो ने उन देशों से फीस ली है. इसके अलावा दो सैटेलाइट देश के दो शिक्षा संस्थानों के हैं. इस लॉन्चिंग में एक सैटेलाइट कॉर्टोसैट 2 सीरीज का इसरो का अपना है.

PM ने दी बधाई, छात्रों के उत्साह पर खुशी
इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर पर इसरो की इस सफलता के लिए वैज्ञानिकों को बधाई दी है. इसके साथ ही उन्होंने पुणे और चेन्नई के उन छात्रों के उत्साह की भी चर्चा की है, जिन्होंने सैटेलाइट के निर्माण में भूमिका निभाई है. पीएम ने लिखा है कि छात्रों का उत्साह देखकर वह बहुत खुश हैं.

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सैटेलाइट के जरिये जमीन पर निगरानी
पीएसएलवी-C34 मिशन की लॉन्चिंग का मुख्य उद्देश्य कॉर्टोसैट 2 सीरीज के 727.5 किलोग्राम वजन का एक सैटेलाइट लॉन्च करना है. कॉर्टोसैट सैटेलाइट इसरो के अपने सैटेलाइट हैं और इन सैटेलाइटों का मुख्य मकसद धरती की हाई रिजॉल्यूशन इमेजरी तैयार करना है. कॉर्टोसैट में खास तरह के कैमरे लगे हैं जो भारत में जमीन पर होने वाले किसी भी वानस्पातिक या भूगर्भीय परिवर्तन को बारीकी से पहचान सकेगा. इस सैटेलाइट के जरिए भारत ये सही सही जान पाएगा कि यहां पर किस तरह के और कितने जंगल हैं.

इसरो के जरिये अब तक 57 विदेशी सैटेलाइट अंतरिक्ष में
नदियों के कटाव और पहाड़ों के उत्खनन के बारे में सटीक जानकारी भी इस सैटेलाइट के जरिए मिल पाएगी. कॉर्टोसैट के अलावा पीएसएलवी सी-34 मिशन में 19 सैटेलाइट और लॉन्च किए जा रहे हैं. इसरो के लिए इतने सैटेलाइट एक साथ लॉन्च करना अपने आप में रिकॉर्ड है. इससे पहले इसरो 2008 में 10 सैटेलाइट एक साथ लॉन्च किए थे. इसरो अबतक 57 विदेशी सैटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित कर चुकी है.

पीएसएलवी 34 मिशन में बाहरी देशों के जो सैटेलाइट भेजे जा रहे हैं वो इस प्रकार हैं:

इंडोनेशिया का LAPAN A-3

जर्मनी का BIROS

कनाडा का M3MSAT

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यूएसए का स्काईसेट GEN 2-1

कनाडा का GHGSAT 3

यूएसए के 12 DOVE सैटेलाइट

एक सैटेलाइट गूगल का
इन सैटेलाइटों में स्काईसेट GEN 2-1 गूगल का सैटेलाइट है जिसको इमेजरी के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. इसके अलावा इस लॉन्चिंग में चेन्नई की एक निजी यूनिवर्सिटी का सत्यभामा सैटेलाइट और पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग का स्वयंम सैटेलाइट है. स्वयंम सैटेलाइट को हैम रेडियो के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, वहीं सत्यभामा सैटेलाइट का इस्तेमाल वायुमंडल में होने वाले प्रदूषण के अध्ययन के लिए किया जाएगा.

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