
भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो एक ही उड़ान में एक साथ 20 सैटेलाइट अंतरिक्ष स्थापित करने जा रही है. इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान की ये उड़ान 22 जून को सुबह 9 बजकर 25 मिनट पर लॉन्च की जाएगी. अपनी 36वीं उड़ान में पीएसएलवी-C34 कार्टोसैट-2 श्रृंखला के 727.5 किलो के सैटेलाइट के साथ 19 दूसरे सैटेलाइटों को अंतरिक्ष में स्थापित करेगा. इसरो 20 सैटेलाइटों को पहली दफा एक साथ लॉन्च करके अपने पहले के 10 सैटेलाइटों के रिकॉर्ड को पार करेगी.
20 सैटेलाइट एक साथ लॉन्च करने की तैयारी
पीएसएलवी-C34 की लॉन्चिंग सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे लॉन्च पैड से श्रीहरिकोटा में की जाएगी. पीएसएलवी-C34 की लॉन्चिंग की उल्टी गिनती हो रही है. भारतीय समय के अनुमसार पीएसएलवी C-34 की लॉन्चिंग 22 जून को सुबह 9 बजकर 26 मिनट पर की जाएगी. पीएसएलवी सी-34 के 20 सैटेलाइटों में से 17 कॉमर्शियल सैटेलाइट हैं. यानी 17 सैटेलाइट दूसरे देशों के हैं जिन्हें भेजने के लिए इसरो ने उन देशों से फीस ली है. इसके अलावा दो सैटेलाइट देश के दो शिक्षा संस्थानों के हैं. इस लॉन्चिंग में एक सैटेलाइट कॉर्टोसैट 2 सीरीज का इसरो का अपना है.
सैटेलाइट के जरिये जमीन पर निगरानी
पीएसएलवी-C34 मिशन की लॉन्चिंग का मुख्य उद्देश्य कॉर्टोसैट 2 सीरीज के 727.5 किलोग्राम वजन का एक सैटेलाइट लॉन्च करना है. कॉर्टोसैट सैटेलाइट इसरो के अपने सैटेलाइट हैं और इन सैटेलाइटों का मुख्य मकसद धरती की हाई रिजॉल्यूशन इमेजरी तैयार करना है. कॉर्टोसैट में खास तरह के कैमरे लगे हैं जो भारत में जमीन पर होने वाले किसी भी वानस्पातिक या भूगर्भीय परिवर्तन को बारीकी से पहचान सकेगा. इस सैटेलाइट के जरिए भारत ये सही सही जान पाएगा कि यहां पर किस तरह के और कितने जंगल हैं.
इसरो के जरिये अब तक 57 विदेशी सैटेलाइट अंतरिक्ष में
नदियों के कटाव और पहाड़ों के उत्खनन के बारे में सटीक जानकारी भी इस सैटेलाइट के जरिए मिल पाएगी. कॉर्टोसैट के अलावा पीएसएलवी सी-34 मिशन में 19 सैटेलाइट और लॉन्च किए जा रहे हैं. इसरो के लिए इतने सैटेलाइट एक साथ लॉन्च करना अपने आप में रिकॉर्ड है. इससे पहले इसरो 2008 में 10 सैटेलाइट एक साथ लॉन्च किए थे. इसरो अबतक 57 विदेशी सैटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित कर चुकी है.
पीएसएलवी 34 मिशन में बाहरी देशों के जो सैटेलाइट भेजे जा रहे हैं वो इस प्रकार हैं:
इंडोनेशिया का LAPAN A-3
जर्मनी का BIROS
कनाडा का M3MSAT
यूएसए का स्काईसेट GEN 2-1
कनाडा का GHGSAT 3
यूएसए के 12 DOVE सैटेलाइट
इन सैटेलाइटों में स्काईसेट GEN 2-1 गूगल का सैटेलाइट है जिसको इमेजरी के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा इस लांचिंग में चेन्नई की एक निजी यूनिवर्सिटी का सत्यभामा सैटेलाइट और पुणे के कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग का स्वयंम सैटेलाइट है. स्वयंम सैटेलाइट को हैम रेडियो के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, वहीं सत्यभामा सैटेलाइट का इस्तेमाल वायुमंडल में होने वाले प्रदूषण के अध्ययन के लिए किया जाएगा.