
सरकार ने 2023-24 तक दुग्ध उत्पादन बढ़ाकर 30 करोड़ टन करने के उद्देश्य से मौजूदा वित्त वर्ष में दस करोड़ कृत्रिम गर्भाधान का लक्ष्य रखा है. यह लक्ष्य राज्यवार तय किया गया है. केन्द्र सरकार के मुताबिक केंद्रीय कृषि मंत्रालय राष्ट्रीय गौकुल मिशन के तहत कृत्रिम गर्भाधान को बढावा दे रहा है.
कृत्रिम गर्भाधान देश में बोवाईनों की आनुवंशिक क्षमता का उन्नयन करते हुए उनके दूध उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाकर बोवाइन आबादी की उत्पादकता में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. मंत्रालय ने 2017-18 में 10 करोड़ कृत्रिम गर्भाधान के लिए राज्यवार लक्ष्य तय किए हैं. इसके तहत सबसे अधिक 119.20 लाख का लक्ष्य उत्तर प्रदेश के लिए रखा गया.
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कृत्रिम गर्भाधान या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के सहारे देश में गाय और भैंस की जनसंख्या बढ़ाने का कार्यक्रम केन्द्र सरकार के कृषि मंत्रालय द्वारा चलाया जाता है. पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग, कृषि मंत्रालय का एक विभाग है. यह विभाग पशुधन उत्पाद, उनके संरक्षण, रोगों से सुरक्षा तथा पशुधन में सुधार तथा डेयरी विकास के साथ-साथ दिल्ली दुग्ध योजना और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड से जुड़े मामलों के प्रति भी जिम्मेवार है.
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वहीं भारत 1998 से लगातार दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश होने के साथ-साथ सर्वाधिक दुग्ध पशुओं वाला देश भी है. 1950 से लेकर 2014 तक देश में दुग्ध उत्पादन 17 मिलियन टन से बढ़कर 146 मिलियन टन पहुंच गया. वहीं वैश्विक स्तर पर दुग्ध उत्पादन 2013 में 765 मिलियन टन से बढ़कर 789 मिलियन टन पहुंच गया.