
जगन्नाथ मंदिर के रत्नभंडार की चाबी पहले तो गायब हुई और फिर 13 जून की रात को डीएम के रिकॉर्ड रूम में एक लिफाफे में मिल गई. लेकिन इससे चाबी पर राजनीति और गहरा गई. जगन्नाथ मंदिर ऐक्ट में चाबी जिला कोषागार में रखने का प्रावधान है, फिर रिकॉर्ड रूम कैसे पहुंची?
मंदिर के खजाने की चाबी गायब होने का संवेदनशील मसला ओडिशा की राजनीति में है. मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इसके लिए फौरन न्यायिक जांच आयोग बैठा दिया. उधर, भाजपा और कांग्रेस इस पर पटनायक और और उनकी पार्टी बीजू जनता दल को घेरने का कोई मौका नहीं गंवाना चाहतीं.
चाबी खोने का मामला इस साल 4 अप्रैल को सामने आया. उस दिन मरम्मत के लिहाज से जगन्नाथ मंदिर के बाहर और भीतर के रत्नभंडार के निरीक्षण के लिए ओडिशा हाइकोर्ट के आदेश से 16 लोगों की कमेटी ने मंदिर परिसर का दौरा किया. बाहरी रत्नभंडार का निरीक्षण तो कर लिया गया पर भीतरी रत्नभंडार की चाबी नहीं थी.
जिलाधिकारी अरविंद अग्रवाल ने कहा कि कोषागार में चाबी नहीं है, न ही चाबी जमा करने का दस्तावेज है. बाहरी भंडार में भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और अग्रज बलभद्र के रोज के पहनने वाले गहने रखे जाते हैं. रत्नभंडार के भीतरी भाग में 12वीं शताब्दी से हीरे, जवाहरात, सोना, चांदी, माणिक, मूंगा जैसे बेशकीमती जवाहरात भारी मात्रा में रखे हैं.
मुख्यमंत्री ने फौरन कानून मंत्री प्रताप जेना को पुरी भेजा. जेना की रिपोर्ट के बाद 4 जून को ओडिशा हाइकोर्ट के रिटायर्ड जज रघुवीर दास की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग गठित किया गया और तीन महीने में रिपोर्ट देने को कहा गया.
भाजपा को तो इस मुद्दे में शायद सियासत की चाबी नजर आने लगी. केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मुख्यमंत्री की चुप्पी पर ही सवाल खड़े कर दिए. पार्टी राज्य इकाई के अध्यक्ष बसंत पंडा भी सक्रिय हुए. पार्टी ने 11 जून को राज्य के 30 जिलों और 314 ब्लॉकों में धरना-प्रदर्शन किया.
12 जून को थानों में चाबी खोने की एफआइआर दर्ज कराई गई. श्रीमंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष तथा श्रीजगन्नाथ के प्रथम सेवक गजपति महाराज दिव्यसिंह देव कहते हैं, "जगन्नाथ मंदिर ऐक्ट 1960 के बाद भीतरी रत्नभंडार की चाबी जिला कोषागार के पास रखी जाने लगी.'' बहरहाल, इस मुद्दे पर कई रंग दिखेंगे.
न्यायिक जांच का हालचाल
5 दिसबंर, 1993
हाइकोर्ट के जज (रिटायर्ड) जीवनमोहन महापात्र की अध्यक्षता वाले न्यायिक जांच आयोग ने नागार्जुन वेश भगदड़ कांड में छह लोगों की मौत के मामले की जांच की. सरकार के पास रिपोर्ट नहीं
27 जुलाई, 1997
नवकलेबर कुप्रबंधन पर हाइकोर्ट के जज (रि.) बी.के. पात्रा की अगुआई में जांच आयोग ने सेवायतों के पैतृक अधिकार रद्द करने और दान प्रणाली बदलने की सिफारिश की. अब तक अमल नहीं
4 नवंबर, 2006
जज (रि.) पी.के. मोहंती न्यायिक जांच कमिशन ने जगन्नाथ मंदिर परिसर में भगदड़ से हुई चार मौतों की घटना की जांच की थी. रिपोर्ट का पता नहीं
21 जुलाई, 2016
जज (रि.) बी.पी. दास की अध्यक्षता में जांच आयोग की मंदिर में सुधार पर दो अंतरिम रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं. आयोग का कार्यकाल जनवरी 2018 में खत्म
4 जून, 2018
हाइकोर्ट जज (रि.) रघुबीर दास की अध्यक्षता में गठित जांच आयोग को मंदिर के रत्नभंडार की चाबी खोने की घटना की जांच सौंपी गई
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