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संथारा पर HC के फैसले के खिलाफ जैन समुदाय का धरना

राजस्थान हाई कोर्ट की ओर से जैन मुनियों की परंपरा 'संथारा' को आत्महत्या की श्रेणी में लाए जाने के खिलाफ देश भर का जैन समाज एकजुट हो गया है.

Santhara Santhara
aajtak.in
  • ऋषिकेश,
  • 24 अगस्त 2015,
  • अपडेटेड 6:32 PM IST

राजस्थान हाई कोर्ट की ओर से जैन मुनियों की परंपरा 'संथारा' को आत्महत्या की श्रेणी में लाए जाने के खिलाफ देश भर का जैन समाज एकजुट हो गया है.

सोमवार को जगह-जगह जैन समाज के लोगों ने जैन मंदिर के सामने शांतिपूर्ण मौन विरोध प्रदर्शन किया. ॠषिकेश में प्रदर्शनकारियों ने राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को जैन धर्म की परंपराओं के खिलाफ बताया. जैन समुदाय के इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हुए.

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जैन समाज की महिलाओं ने कहा कि आत्महत्या जैसी कायराना हरकत को जैन समाज की प्राचीन परंपरा संथारा से जोड़ना निंदनीय है, क्योंकि जैन धर्म के अनुयायी स्वेच्छा से धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसका निर्वहन करते हैं. उन्होंने कहा कि अन्न-जल त्याग कर देह त्याग करना, जैन धर्म के अलावा अन्य धर्मों में भी इस तरह की परंपराएं प्रचलित हैं.

प्रदर्शनकारी रवि जैन ने कहा, 'हाई कोर्ट के फैसले से जैन समाज सहमत नहीं हैं. कोर्ट ने बिना परंपरा का अध्ययन किए इसे आत्महत्या में शामिल कर दिया. संथारा संतो से जुड़ी साधना की परंपरा है. जैन समाज न्यायालय के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगा.'

बैतूल में निकला मौन जुलूस
मध्य प्रदेश के बैतूल में सकल जैन समाज ने विरोध में मौन जुलूस निकाला. यह जुलूस जैन स्थानक कोठीबाजार से शुरू होकर शहर के विभिन्न रास्तों से होता हुआ श्री अमझिरा पार्श्वनाथ जैन मंदिर बैतूलगंज पर समाप्त हुआ. इसके साथ ही शहर में जैन समाज के लोगों के सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान पूर्ण रूप से बंद रहे. जुलूस के बाद समाज द्वारा इस संबंध में कलेक्टर को एक ज्ञापन भी सौंपा गया. इस ज्ञापन में कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार की मांग की गई.

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